नवाब साहब ने पहले खीरों को धोया और फिर तौलिए से उन खीरों को पोंछा। जेब से चाकू निकालकर दोनों खीरों के सिरे काटे और उन्हें अच्छी तरह से गोदा। उसके बाद खीरों को बहुत सावधानी से छीलकर फांकों को तौलिए पर बड़े अच्छे ढंग से सजा दिया। नवाब साहब के पास खीरा बेचने वालों के पास से ली गई नमक मिर्च जीरा की पुड़िया थी। नवाब साहब ने तौलिए पर रखे खीरों की फांकों पर जी-रा नमक- मिर्च छिड़का। उन खीरों की फांकों को देखने मात्र से ही मुंह में पानी आने लगा था। इस तरह नवाब साहब ने बड़े नजाकत और सलीके से खीरों खाने की तैयारी की।
sonamsharan7602
नवाब साहब ने खीरे खाने की जो तैयारी की थी वह कुछ इस प्रकार थी उन्होंने सबसे पहले खीरे को सीट के नीचे रखे लोटे के पानी से धोया और फिर उन्होंने खीरे को तौलिए से पोछा और खीरे को चाकू से फांको में कांटा और फिर उस पर नमक -मिर्च बुर्का फिर बड़े इत्मीनान से खीरे को सूंघा और एक-एक करके उसकी फांकों को गाड़ी के बाहर फेंक दिया जैसा कि वह जताना चाह रहे थे कि यह है खीरे खाने का नवाबी अंदाज|
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नवाब साहब ने पहले खीरों को धोया और फिर तौलिए से उन खीरों को पोंछा। जेब से चाकू निकालकर दोनों खीरों के सिरे काटे और उन्हें अच्छी तरह से गोदा। उसके बाद खीरों को बहुत सावधानी से छीलकर फांकों को तौलिए पर बड़े अच्छे ढंग से सजा दिया। नवाब साहब के पास खीरा बेचने वालों के पास से ली गई नमक मिर्च जीरा की पुड़िया थी। नवाब साहब ने तौलिए पर रखे खीरों की फांकों पर जी-रा नमक- मिर्च छिड़का। उन खीरों की फांकों को देखने मात्र से ही मुंह में पानी आने लगा था। इस तरह नवाब साहब ने बड़े नजाकत और सलीके से खीरों खाने की तैयारी की।