जापानियों ने अमेरिका से प्रतिस्पर्धा के चक्कर में अपने दिमाग को और तेज दौड़ाना शुरु कर दिया ताकि जापान हर मामले में अमेरिका से आगे निकल सके। इसलिए लेखक ने जापानियों के दिमाग में ‘स्पीड’ का इंजन लगने की बात कही है।
जापानियों ने अमेरिका के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए एक महीने का काम को एक दिन में करते हैं। उनके दिमाग की रफ़्तार बहुत तेज़ होती है। व्यक्ति चलने के बजाय दौड़ता है। जब वह अकेला पड़ता है तब वह अपने आप से लगातार बड़बड़ाता है। इसलिए लेखक ने उनके दिमाग को स्पीड के इंजन के साथ तुलना की।
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जापानियों ने अमेरिका से प्रतिस्पर्धा के चक्कर में अपने दिमाग को और तेज दौड़ाना शुरु कर दिया ताकि जापान हर मामले में अमेरिका से आगे निकल सके। इसलिए लेखक ने जापानियों के दिमाग में ‘स्पीड’ का इंजन लगने की बात कही है।
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जापानियों ने अमेरिका के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए एक महीने का काम को एक दिन में करते हैं। उनके दिमाग की रफ़्तार बहुत तेज़ होती है। व्यक्ति चलने के बजाय दौड़ता है। जब वह अकेला पड़ता है तब वह अपने आप से लगातार बड़बड़ाता है। इसलिए लेखक ने उनके दिमाग को स्पीड के इंजन के साथ तुलना की।
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