प्रस्तुत कविता ‘गीत-अगीत’ में कवि ने प्रकृति की सुंदरता के साथ-साथ जीव-जंतुओं के प्रति प्रेम, मानवीय राग और प्रेमभाव का भी सजीव चित्रण किया है। कविता के प्रथम भाग में नदी के बहने से जो सुन्दर दृश्य दिखाई देता है कवि ने उसका बहुत सुन्दर वर्णन किया है। कवि कहता है कि नदी किसी के बिछड़ने के दुःख में दुखी होते हुए गीत गाते हुए बड़ी तेजी से बह रही है। ऐसे में लगता है कि वह अपना दुःख कम करने के लिए किनारों से कुछ कहती हुई बहती जा रही है। किनारे के पास में ही एक गुलाब चुपचाप यह सब देख रहा है और अपने मन में सोच रहा है कि यदि भगवान ने उसे भी बोलने की शक्ति दी होती तो वह भी पूरी दुनिया को अपने सपनों के गीत सुनाता। कविता के दूसरे भाग में कवि तोता और मादा-तोता के प्रेम का सुन्दर वर्णन करता हुआ कहता है कि एक तोता पेड़ की उस घनी डाली पर बैठा हुआ है जो डाल उसके घोंसलें को छाया देती है। उसी घोंसलें में उस तोते की मादा अपने पंखों को फैला कर अपने अंडे से रही है। कवि कहता है कि जब सूर्य की किरणें पत्तों से छनकर आती हैं और तोते के पंखों का स्पर्श करती हैं तो तोता गाना गाने लगता है। उसका गाना सुनकर उसकी मादा भी गाना चाहती है लेकिन उसका गीत केवल तोते के प्यार में लिपट कर रह जाता है और उसके मुँह से कुछ नहीं निकलता। मादा उसका गीत सुनकर फूले नहीं समा रही है। कविता के तीसरे भाग में कवि दो प्रेमियों का वर्णन करता हुआ कहता है कि दोनों प्रेमियों में से जब एक प्रेमी शाम के समय कोई लोक गीत गाता है तो उसकी प्रेमिका उस गाने को सुनने के लिए अपने घर से वन की ओर खिंची चली आती है। वह चोरी से छुप-छुप कर अपने प्रेमी का गाना सुनती है और मन में सोचती है कि वह उस गीत का हिस्सा क्यों नहीं बनती। कवि यह सब देखकर सोच रहा है कि मेरे द्वारा गया गया गीत सुन्दर है या प्रकृति के द्वारा न गा सकने वाला अगीत सुन्दर है?
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प्रस्तुत कविता ‘गीत-अगीत’ में कवि ने प्रकृति की सुंदरता के साथ-साथ जीव-जंतुओं के प्रति प्रेम, मानवीय राग और प्रेमभाव का भी सजीव चित्रण किया है। कविता के प्रथम भाग में नदी के बहने से जो सुन्दर दृश्य दिखाई देता है कवि ने उसका बहुत सुन्दर वर्णन किया है। कवि कहता है कि नदी किसी के बिछड़ने के दुःख में दुखी होते हुए गीत गाते हुए बड़ी तेजी से बह रही है। ऐसे में लगता है कि वह अपना दुःख कम करने के लिए किनारों से कुछ कहती हुई बहती जा रही है। किनारे के पास में ही एक गुलाब चुपचाप यह सब देख रहा है और अपने मन में सोच रहा है कि यदि भगवान ने उसे भी बोलने की शक्ति दी होती तो वह भी पूरी दुनिया को अपने सपनों के गीत सुनाता। कविता के दूसरे भाग में कवि तोता और मादा-तोता के प्रेम का सुन्दर वर्णन करता हुआ कहता है कि एक तोता पेड़ की उस घनी डाली पर बैठा हुआ है जो डाल उसके घोंसलें को छाया देती है। उसी घोंसलें में उस तोते की मादा अपने पंखों को फैला कर अपने अंडे से रही है। कवि कहता है कि जब सूर्य की किरणें पत्तों से छनकर आती हैं और तोते के पंखों का स्पर्श करती हैं तो तोता गाना गाने लगता है। उसका गाना सुनकर उसकी मादा भी गाना चाहती है लेकिन उसका गीत केवल तोते के प्यार में लिपट कर रह जाता है और उसके मुँह से कुछ नहीं निकलता। मादा उसका गीत सुनकर फूले नहीं समा रही है। कविता के तीसरे भाग में कवि दो प्रेमियों का वर्णन करता हुआ कहता है कि दोनों प्रेमियों में से जब एक प्रेमी शाम के समय कोई लोक गीत गाता है तो उसकी प्रेमिका उस गाने को सुनने के लिए अपने घर से वन की ओर खिंची चली आती है। वह चोरी से छुप-छुप कर अपने प्रेमी का गाना सुनती है और मन में सोचती है कि वह उस गीत का हिस्सा क्यों नहीं बनती। कवि यह सब देखकर सोच रहा है कि मेरे द्वारा गया गया गीत सुन्दर है या प्रकृति के द्वारा न गा सकने वाला अगीत सुन्दर है?