प्रश्न 22. "भारत प्रकृति का खूबसूरत उपहार है"-पाठ 'आखरी चट्टान' के आलोक में इस कथन की व्याख्या कीजिए। 4 अथवा 'ईर्ष्या, तू न गई मेरे मन से' रचना का मूल भाव अपने शब्दों में लिखिए। उत्तर:
“भारत प्रकृति का खूबसूरत उपहार हैं' -पाठ के आलोक में इस कथन की व्याख्या कीजिए। ... इसकी प्राकृतिक मनोरमा मन को मोहित करने वाली है। मोहन राकेश ने भारत के दक्षिणी समुद्रतट पर स्थित कन्याकुमारी के मनोरम प्राकृतिक सौन्दर्य का वर्णन किया है। वहाँ हिन्द महासागर, अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी का संगम स्थल है।
कथाकार राकेश ने इस संचित सामग्री को मनुष्य, प्रकृति और विराट जीवन के विवेचन की तरह अपनाते हुए 'आख़िरी चट्टान तक' की रचना की है। मानव मनोविज्ञान और सामाजिक संरचना की सूक्ष्म समझ के कारण यह यात्रावृत्तान्त भौतिक विवरण और आन्तरिक व्याख्या का निदर्शन बन गया है। हिन्दी साहित्य मे 'घुमक्कड़ शास्त्र' की कमी अनुभव की जाती है।
अथवा
“दिनकर” जी के घर के बगल में एक वकील साहब हैं। ईर्ष्या को एक अनोखा वरदान है कि जिसके हृदय में यह अपना घर बनाता है उसको प्राप्त सुख के आनन्द से वंचित कर देता है। दूसरों से अपने की तुलना कर अप्राप्त सुख का अभाव उसके हृदय पर दंश दर्द के समान दुख देता है।
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Answer:
“भारत प्रकृति का खूबसूरत उपहार हैं' -पाठ के आलोक में इस कथन की व्याख्या कीजिए। ... इसकी प्राकृतिक मनोरमा मन को मोहित करने वाली है। मोहन राकेश ने भारत के दक्षिणी समुद्रतट पर स्थित कन्याकुमारी के मनोरम प्राकृतिक सौन्दर्य का वर्णन किया है। वहाँ हिन्द महासागर, अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी का संगम स्थल है।
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कथाकार राकेश ने इस संचित सामग्री को मनुष्य, प्रकृति और विराट जीवन के विवेचन की तरह अपनाते हुए 'आख़िरी चट्टान तक' की रचना की है। मानव मनोविज्ञान और सामाजिक संरचना की सूक्ष्म समझ के कारण यह यात्रावृत्तान्त भौतिक विवरण और आन्तरिक व्याख्या का निदर्शन बन गया है। हिन्दी साहित्य मे 'घुमक्कड़ शास्त्र' की कमी अनुभव की जाती है।
अथवा
“दिनकर” जी के घर के बगल में एक वकील साहब हैं। ईर्ष्या को एक अनोखा वरदान है कि जिसके हृदय में यह अपना घर बनाता है उसको प्राप्त सुख के आनन्द से वंचित कर देता है। दूसरों से अपने की तुलना कर अप्राप्त सुख का अभाव उसके हृदय पर दंश दर्द के समान दुख देता है।