प्रस्तुत काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
हमारे हरि हारिल की लकरी
मन क्रम वचन नंद - नंदन उर यह दृढ़ करि पकरी।
जागत सोवत स्वप्न दिवस निसि कान्हा-कान्हा जकरी।
सुनत जोग लागत है ऐसौ ज्यौं करूई ककरी।
सु तौ व्याधि हमकौ लै आए देखी सुनी न करी।
यह तौ सूर तिनहिं ले सौपौ जिनके मन चकरी।
क) गोपियों ने श्रीकृष्ण को अपने हृदय में किस प्रकार बसाया हुआ है?
ख) ब्रहा और जोग की बात सुनकर गोपियों को कैसा लगता है?
ग) गोपियां दिन रात, सोते जागते और सपने में क्या करती रहती हैं?
(Class 10 Hindi A Sample Question Paper)
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क) गोपियों ने श्रीकृष्ण को अपने हृदय में उसी तरह बसाया हुआ है जिस प्रकार हारिल पक्षी अपने पैरों में दबाई लकड़ी को नहीं छोड़ता है। उसी प्रकर उद्धव के योग संदेश पर भी वह कृष्ण को छोड़ने को तैयार नहीं है।ख) ब्रह् और जोग की बात सुनकर गोपियों को ऐसा लगता है जैसे उनके मुंह में कड़वी ककड़ी चली गई हो। गोपियों को उद्धव द्वारा लाया गया योग का संदेश कड़वी ककड़ी के समान लगा।
ग) गोपियां दिन रात, सोते जागते तथा सपने में कान्हा- कान्हा रटती रहती हैं।