चर्चा के लिये जब किसी विषय वस्तु को तैयार किया जाता है, तो पहले उसकी सूक्ष्म व्याख्या की जाती है, इसी सूक्ष्म व्याख्या को प्रसंग कहा जाता है। जैसे ज्योतिष के बारे में कुछ भी बताने से पहले ज्योतिष का अर्थ, और ज्योतिष के ज्ञान की आवश्यकता, ज्योतिष के ज्ञान से होने वाले लाभ और हानियां, फ़िर जो कुछ भी कहना है उसके लिये आगे का विषय बनता है।
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चर्चा के लिये जब किसी विषय वस्तु को तैयार किया जाता है, तो पहले उसकी सूक्ष्म व्याख्या की जाती है, इसी सूक्ष्म व्याख्या को प्रसंग कहा जाता है। जैसे ज्योतिष के बारे में कुछ भी बताने से पहले ज्योतिष का अर्थ, और ज्योतिष के ज्ञान की आवश्यकता, ज्योतिष के ज्ञान से होने वाले लाभ और हानियां, फ़िर जो कुछ भी कहना है उसके लिये आगे का विषय बनता है।
भावार्थ
अभिप्राय, आशय (जैसे—पद्य का भावार्थ लिखना)
मतलब, तात्पर्य