उपपद विभक्ति – जो विभक्ति किसी पद विशेष (प्रायः अव्यय) के योग में आती है उसे उपपद विभक्ति कहते हैं। जैसे 'सह' के योग में तृतीया उपपद विभक्ति होती है। कारक तथा उपपद विभक्ति – यदि कहीं कारक तथा उपपद विभक्ति दोनों भिन्न-भिन्न हों, तो वहाँ कारक विभक्ति को ही बलवान् मानकर उसका प्रयोग किया जाता है।
Explanation:
कर्ता कारक का बोध कराने के लिए प्रथमा विभक्ति, कर्म कारक का बोध कराने के लिए द्वितीया विभक्ति, करण कारक का बोध कराने के लिए तृतीया विभक्ति, सम्प्रदान कारक का बोध कराने के लिए चतुर्थी विभक्ति, अपादान कारक का बोध कराने के लिए पंचमी विभक्ति तथा अधिकरण कारक का बोध कराने के लिए सप्तमी विभक्ति प्रयुक्त होती है।
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उपपद विभक्ति – जो विभक्ति किसी पद विशेष (प्रायः अव्यय) के योग में आती है उसे उपपद विभक्ति कहते हैं। जैसे 'सह' के योग में तृतीया उपपद विभक्ति होती है। कारक तथा उपपद विभक्ति – यदि कहीं कारक तथा उपपद विभक्ति दोनों भिन्न-भिन्न हों, तो वहाँ कारक विभक्ति को ही बलवान् मानकर उसका प्रयोग किया जाता है।
Explanation:
कर्ता कारक का बोध कराने के लिए प्रथमा विभक्ति, कर्म कारक का बोध कराने के लिए द्वितीया विभक्ति, करण कारक का बोध कराने के लिए तृतीया विभक्ति, सम्प्रदान कारक का बोध कराने के लिए चतुर्थी विभक्ति, अपादान कारक का बोध कराने के लिए पंचमी विभक्ति तथा अधिकरण कारक का बोध कराने के लिए सप्तमी विभक्ति प्रयुक्त होती है।
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