[tex]\green{ \bold{\large{नमस्कार}}} \: {\blue{\bold{मित्रों{\pink࿐ }}}}[/tex] आज हमारे देश के महान क्रान्तिकारी और नेता "सुभाष चन्द्र बोस" का जन्म दिवस है। इसके उपलक्ष्य में उनके आत्मकथा का वर्णन अपने शब्दों में करिए ।
तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' यह केवल एक नारा नहीं था। इस नारे ने भारत में राष्ट्रभक्ति का ज्वार पैदा किया, जो भारत की स्वतंत्रता का बहुत बड़ा आधार भी बना। इस नारे को भारत में ही नहीं बल्कि समस्त भू मंडल पर प्रवाहित करने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस वह नाम है जो शहीद देशभक्तों के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा है। सुभाष चंद्र बोस की वीरता की गाथा भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी सुनाई देती है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की कथनी और करनी में गजब की समानता थी। वे जो कहते थे, उसे करके भी दिखाते थे। इसी कारण नेताजी सुभाष चंद्र बोस के कथनों से विश्व के बड़े दिग्गज भी घबराते थे। सुभाष चंद्र बोस की लोकप्रियता इतनी अधिक थी कि भारत के लोग उन्हें प्यार से 'नेताजी' कहते थे। उनके व्यक्तित्व एवं वाणी में एक ओज एवं आकर्षण था। उनके हृदय में राष्ट्र के लिये मर मिटने की चाह थी। उन्होंने आम भारतीय के हदय में इसी चाह की अलख जगा दी। नेताजी के हर कदम से अंग्रेज सरकार घबराती थी।
सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा प्रांत में कटक में हुआ था। उनके पिता जानकी दास बोस एक प्रसिद्ध वकील थे। प्रारम्भिक शिक्षा कटक में प्राप्त करने के बाद यह कलकता में उच्च शिक्षा के लिये गये। आईसीएस की परीक्षा उत्तीर्ण करके इन्होंने अपनी योग्यता का परिचय दिया। देश के लिये अटूट प्रेम के कारण यह अंग्रेजों की नौकरी नहीं कर सके। बंगाल के देशभक्त चितरंजन दास की प्ररेणा से यह राजनीति में आये। गाँधी जी के साथ असहयोग आन्दोलन में भाग लेकर यह जेल भी गये। 1939 में यह कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। लेकिन कांग्रेस और गाँधी जी के अहिंसावादी विचार इनके क्रान्तिकारी विचारों से मेल नहीं खाते थे इसलिए इन्होंने कांग्रेस छोड़ दी। तत्पश्चात सुभाष जी ने फारवर्ड ब्लाक की स्थापना की। उन्होंने पूर्ण स्वराज्य का लक्ष्य रखा। उनका नारा था 'जय हिन्द'। पूर्ण स्वराज का आशय भारतीय संस्कारों से आप्लावित राज्य। आज भी हमें पूर्ण स्वराज की तलाश है।
neta shubhash chandra bose ji hamesha hmare dil me harege. ..人ಠ_ಠ
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तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' यह केवल एक नारा नहीं था। इस नारे ने भारत में राष्ट्रभक्ति का ज्वार पैदा किया, जो भारत की स्वतंत्रता का बहुत बड़ा आधार भी बना। इस नारे को भारत में ही नहीं बल्कि समस्त भू मंडल पर प्रवाहित करने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस वह नाम है जो शहीद देशभक्तों के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा है। सुभाष चंद्र बोस की वीरता की गाथा भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी सुनाई देती है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की कथनी और करनी में गजब की समानता थी। वे जो कहते थे, उसे करके भी दिखाते थे। इसी कारण नेताजी सुभाष चंद्र बोस के कथनों से विश्व के बड़े दिग्गज भी घबराते थे। सुभाष चंद्र बोस की लोकप्रियता इतनी अधिक थी कि भारत के लोग उन्हें प्यार से 'नेताजी' कहते थे। उनके व्यक्तित्व एवं वाणी में एक ओज एवं आकर्षण था। उनके हृदय में राष्ट्र के लिये मर मिटने की चाह थी। उन्होंने आम भारतीय के हदय में इसी चाह की अलख जगा दी। नेताजी के हर कदम से अंग्रेज सरकार घबराती थी।
सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा प्रांत में कटक में हुआ था। उनके पिता जानकी दास बोस एक प्रसिद्ध वकील थे। प्रारम्भिक शिक्षा कटक में प्राप्त करने के बाद यह कलकता में उच्च शिक्षा के लिये गये। आईसीएस की परीक्षा उत्तीर्ण करके इन्होंने अपनी योग्यता का परिचय दिया। देश के लिये अटूट प्रेम के कारण यह अंग्रेजों की नौकरी नहीं कर सके। बंगाल के देशभक्त चितरंजन दास की प्ररेणा से यह राजनीति में आये। गाँधी जी के साथ असहयोग आन्दोलन में भाग लेकर यह जेल भी गये। 1939 में यह कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। लेकिन कांग्रेस और गाँधी जी के अहिंसावादी विचार इनके क्रान्तिकारी विचारों से मेल नहीं खाते थे इसलिए इन्होंने कांग्रेस छोड़ दी। तत्पश्चात सुभाष जी ने फारवर्ड ब्लाक की स्थापना की। उन्होंने पूर्ण स्वराज्य का लक्ष्य रखा। उनका नारा था 'जय हिन्द'। पूर्ण स्वराज का आशय भारतीय संस्कारों से आप्लावित राज्य। आज भी हमें पूर्ण स्वराज की तलाश है।
neta shubhash chandra bose ji hamesha hmare dil me harege. ..人ಠ_ಠ