Answer:
दूसरी बार जब हालदार साहब कस्बे से गुझरे तो उन्होंने देेखा कि नेताजी की मूर्ति पर मोटे फेमवाले चौकोर चश्मे की जगह तार के फेमवाला गोल चश्मा था । वे कौतुक मे पड गए और सोचने लगे वाह क्या आईडिया है , मूर्ति कपड़े नही बदल सकती परंतु चश्मा तो बदल सकती है।
Explanation:
ok no problem
i understand
friends always wait for each other...
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दूसरी बार जब हालदार साहब कस्बे से गुझरे तो उन्होंने देेखा कि नेताजी की मूर्ति पर मोटे फेमवाले चौकोर चश्मे की जगह तार के फेमवाला गोल चश्मा था । वे कौतुक मे पड गए और सोचने लगे वाह क्या आईडिया है , मूर्ति कपड़े नही बदल सकती परंतु चश्मा तो बदल सकती है।
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