मीठा एहसास हुआ मुझको जब गोद में आयी तुम मेरे पूर्ण हो गया जीवन मेरा जब गोद में आयी तुम मेरे सारी पीडा़ दूर हो गयी रुह की ममता जाग गयी नैनो में एक आशा छायी जब गोद में आयी तुम मेरे नया एक अब नाम मिला नया रुप जीवन में खिला पतझड़ में फिर से बहार आयी जब गोद में आयी तुम मेरे देखा जब पहली बार तुझे चुँमा जब पहली बार तुझे दिल अति आनन्दित हो गया जब गोद में आयी तुम मेरे डुबते को जैसे किनारा मिले अनाथ को जैसे सहारा मिले वो एहसास हुआ मुझको जब गोद में आयी तुम मेरे सुनी जब तेरी किलकारी देखी जब तेरी मनुहारी दिल में उमंग सा छा गया जब गोद में आयी तुम मेरे आशीष यही अब है मेरी काबिलियत हो तुममे इतनी इतराऊँ भाग्य पर मै अपनी कि गोद में खेली तुम मेरे
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•माँ का एहसास
मीठा एहसास हुआ मुझको
जब गोद में आयी तुम मेरे
पूर्ण हो गया जीवन मेरा
जब गोद में आयी तुम मेरे
सारी पीडा़ दूर हो गयी
रुह की ममता जाग गयी
नैनो में एक आशा छायी
जब गोद में आयी तुम मेरे
नया एक अब नाम मिला
नया रुप जीवन में खिला
पतझड़ में फिर से बहार आयी
जब गोद में आयी तुम मेरे
देखा जब पहली बार तुझे
चुँमा जब पहली बार तुझे
दिल अति आनन्दित हो गया
जब गोद में आयी तुम मेरे
डुबते को जैसे किनारा मिले
अनाथ को जैसे सहारा मिले
वो एहसास हुआ मुझको
जब गोद में आयी तुम मेरे
सुनी जब तेरी किलकारी
देखी जब तेरी मनुहारी
दिल में उमंग सा छा गया
जब गोद में आयी तुम मेरे
आशीष यही अब है मेरी
काबिलियत हो तुममे इतनी
इतराऊँ भाग्य पर मै अपनी
कि गोद में खेली तुम मेरे
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Answer:
बाजुओं में खींच के आ जायेगी जैसे क़ायनात
अपने बच्चे के लिए ऐसे बाहें फैलाती है माँ…
ज़िन्दगी के सफ़र मै गर्दिशों में धुप में
जब कोई साया नहीं मिलता तब बहुत याद आती है माँ..
प्यार कहते हैं किसे, और ममता क्या चीज़ है,
कोई उन बच्चों से पूछे जिनकी मर जाती है माँ…
सफा-ए- हस्ती पे लिखती है, असूल-ए- ज़िन्दगी,
इसलिए तो मक़सद-ए- इस्लाम कहलाती है माँ..
जब ज़िगर परदेस जाता है ए नूर-ए- नज़र,
कुरान लेकर सर पे आ जाती है माँ..
लेके ज़मानत में रज़ा-ए- पाक की,
पीछे पीछे सर झुकाए दूर तक जाती है माँ…
काँपती आवाज़ में कहती है बेटा अलविदा…
सामने जब तक रहे हाथों को लहराती है माँ..
जब परेशानी में फँस जाते हैं हम परदेस में,
आंसुओं को पोंछने ख्वाबों में आ जाती है माँ..
मरते दम तक आ सका न बच्चा घर परदेस से,
अपनी सारी दुआएं चौखट पे छोड़ जाती है माँ..