हामिद को लेखक की किन बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था? हामिद को लेखक की भेदभाव रहित बातों पर विश्वास नहीं हुआ। लेखक ने हामिद को बताया कि उनके प्रदेश में हिंदू-मुसलमान बड़े प्रेम से रहते हैं। वहाँ के हिंदू बढ़िया चाय या पुलावों का स्वाद लेने के लिए मुसलमानी होटल में ही जाते हैं।
हामिद ने पूछा कि एक हिन्दू मुसलमानी होटल में क्या खाना खाएँगे। इस पर लेखक ने कहा कि हमारे यहाँ अगर बढ़िया चाय पीनी हो या बढ़िया पुलाव खाना हो तो लोग बेखटके मुसलमानी होटल में जाया करते हैं। इस बात पर हामिद को यकीन नहीं हो पा रहा था।
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हामिद को लेखक की किन बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था? हामिद को लेखक की भेदभाव रहित बातों पर विश्वास नहीं हुआ। लेखक ने हामिद को बताया कि उनके प्रदेश में हिंदू-मुसलमान बड़े प्रेम से रहते हैं। वहाँ के हिंदू बढ़िया चाय या पुलावों का स्वाद लेने के लिए मुसलमानी होटल में ही जाते हैं।
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हामिद ने पूछा कि एक हिन्दू मुसलमानी होटल में क्या खाना खाएँगे। इस पर लेखक ने कहा कि हमारे यहाँ अगर बढ़िया चाय पीनी हो या बढ़िया पुलाव खाना हो तो लोग बेखटके मुसलमानी होटल में जाया करते हैं। इस बात पर हामिद को यकीन नहीं हो पा रहा था।