तो फिर बचा ही क्या है इस दुनिया में पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए
बच्चे काम पर जा रहे हैं कविता राजेश जोशी द्वारा लिखी गई है| कविता में कवि ने उन बच्चों के बारे में वर्णन किया जिन्हें छोटी उम्र में अपना पेट भरने के लिए काम करना पड़ता है|
तो फिर बचा ही क्या है इस दुनिया में पंक्ति का आशय कवि यह इसलिए कह रहे है, जब छोटे-छोटे बच्चे अपनी पढ़ाई छोड़ कर काम पर जाने के लिए मजबूर हो रहे है| कवि कहते है यह उम्र तो बच्चों के खेलने की होती है , यदि किताबें , खिलौने, गेंदें, विद्यालय आदि सब नष्ट हो जाए तो इस दुनियां में बच्चों के लिए बचेगा ही क्या? इस दुनिया के होने का कोई अर्थ ही नहीं है|
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तो फिर बचा ही क्या है इस दुनिया में पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए
बच्चे काम पर जा रहे हैं कविता राजेश जोशी द्वारा लिखी गई है| कविता में कवि ने उन बच्चों के बारे में वर्णन किया जिन्हें छोटी उम्र में अपना पेट भरने के लिए काम करना पड़ता है|
तो फिर बचा ही क्या है इस दुनिया में पंक्ति का आशय कवि यह इसलिए कह रहे है, जब छोटे-छोटे बच्चे अपनी पढ़ाई छोड़ कर काम पर जाने के लिए मजबूर हो रहे है| कवि कहते है यह उम्र तो बच्चों के खेलने की होती है , यदि किताबें , खिलौने, गेंदें, विद्यालय आदि सब नष्ट हो जाए तो इस दुनियां में बच्चों के लिए बचेगा ही क्या? इस दुनिया के होने का कोई अर्थ ही नहीं है|