नवरात्र सिर्फ पूजा और अनुष्ठान का पर्व ही नहीं है, बल्कि नारी सशक्तीकरण को सेलिब्रेट करने का अवसर भी है। मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की अपार शक्ति नारी सशक्तीकरण का प्रतीक है। आज की नारी में जहां मां दुर्गा का ममतामयी रूप सजा है वहीं कुछ कर गुजरने का जोश भी निहित है। सृजन और संहार के दोनों रूपों को अपनाकर सशक्त हुई है आज की यह नारी। यह सांस्कृतिक पर्व है जो दुर्गा की शक्ति को रिलेट करता है नारी सशक्तीकरण से...
आदिशक्ति हैं मां दुर्गा। इनके तीन गुण हैं सृजन, पालन और संहार। कभी वह सृजन करती हैं तो कभी मां के रूप में पालन करती हैं और कभी अपने भीतर की शक्ति को जागृत कर महिषासुर जैसे दानवों का संहार करती हैं। आज की नारी देवी दुर्गा के इन्हीं रूपों को साक्षात तौर पर निभा रही है। वह सृजन करती है, मां की हर जिम्मेदारी निभाती है और जब कुछ करने की ठान लेती है तो करके ही मानती है। आज की इस नारी की शक्ति असीम है और अपनी इस काबिलियत को इसने पहचान भी लिया है।
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नारी शक्ति का प्रतीक है :-
नवरात्र सिर्फ पूजा और अनुष्ठान का पर्व ही नहीं है, बल्कि नारी सशक्तीकरण को सेलिब्रेट करने का अवसर भी है। मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की अपार शक्ति नारी सशक्तीकरण का प्रतीक है। आज की नारी में जहां मां दुर्गा का ममतामयी रूप सजा है वहीं कुछ कर गुजरने का जोश भी निहित है। सृजन और संहार के दोनों रूपों को अपनाकर सशक्त हुई है आज की यह नारी। यह सांस्कृतिक पर्व है जो दुर्गा की शक्ति को रिलेट करता है नारी सशक्तीकरण से...
आदिशक्ति हैं मां दुर्गा। इनके तीन गुण हैं सृजन, पालन और संहार। कभी वह सृजन करती हैं तो कभी मां के रूप में पालन करती हैं और कभी अपने भीतर की शक्ति को जागृत कर महिषासुर जैसे दानवों का संहार करती हैं। आज की नारी देवी दुर्गा के इन्हीं रूपों को साक्षात तौर पर निभा रही है। वह सृजन करती है, मां की हर जिम्मेदारी निभाती है और जब कुछ करने की ठान लेती है तो करके ही मानती है। आज की इस नारी की शक्ति असीम है और अपनी इस काबिलियत को इसने पहचान भी लिया है।
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