भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है और कहा भी जाना चाहिए क्योंकि हमारे देश के कोने कोने में न जाने कितने सैकड़ों हज़ारों त्यौहार मनाये जाते है। देश में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहारों के अलावे हर राज्य और हर क्षेत्र में कुछ अलग तरह के उत्सव भी मनाये जाते है।
पुरे अखंड भारत में शायद ही कोई ऐसा महीना गुजरता होगा जब भारत के किसी हिस्से में कोई त्यौहार न मनाया गया हो।
भारत में अनेक तरह के त्योहार मनाये जाते है, कुछ ऐसे त्योहार जो कि धार्मिक कहानियों से उपजते है तो कुछ धार्मिक मान्यताओं के आधार पर बने हुए है। होली, दिवाली, ईद, मुहर्रम ये सभी मुख रूप से धार्मिक त्योहार कि श्रेणी में आते है।
कुछ ऐसे भी त्योहार है जो ऋतुओं और फसलों के आधार पर मनाये जाते है जैसे कि लोहरी, वैशाखी, मकर संक्रांति, ओनम, पोंगल।
भारत में तीन ऐसे दिन है जिसे राष्ट्रीय त्योहार के रूप में नया जाता है, स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त), गणतंत्रता दिवस (26 जनवरी) और गाँधी जयंती (2 अक्टूबर)।
केरल से लेकर पंजाब तक और राजस्थान से लेकर असम तक। हर तरफ के त्योहारों के अपने अपने मायने है और मानना का अपना अपना तरीका।
त्योहारों का महत्त्व
त्योहार हमारे लिए बेहद ही जरूरी है, भले ही हमारे अधिकतर त्योहार धार्मिक मान्यताओं की उपज है लेकिन आज के परिपेक्ष में भी त्योहार हमारे लिए उतना ही महत्वपूर्ण है।
भारत में मनाये जाने वाले सभी त्योहार जनमानस को खुशियाँ, उल्लास व उत्साह प्रदान करती है साथ ही सभी त्योहार अपने साथ एक खास सन्देश लेकर आती है जो की समाज और देश के विकास के लिए होती है।
भाई बहन के प्रेम को दर्शाने के लिए हम रक्षाबंधन मानते है तो दसहरा में अपने अंदर मौजूद बुराई के रावण का दहन करते है।
त्योहार हमारे भारत की अखंडता को बनाने रखने में काफी मददगार साबित होता, यह हमारे अनेकता में एकता का सबसे बड़ा उदहारण है। त्योहारों की मदद से ऊंच नीच जैसे कुरीतियों का नास होता है। हर जाती, धर्म, वर्ग के लोग साथ आकर खुशियां मनाते है।
हमारे देश में भले ही अलग अलग धर्म, जाती, स्थान के अनुसार अलग अलग तरह के त्योहार मनाये जाते है लेकिन इन सभी त्योहारों का एक ही मूल होता है। ये त्योहार ही तो है जो समस्त भारतवासियों को एक सूत्र में पिरोए रखता है। ये त्योहार ही तो है जो आज के भाग दौर के दुनिया से इतर हमें अपनों के साथ समय बिताने का मौका देती है। ये त्योहार ही तो है जो आज भी हमारे सभ्यता और संस्कृति को जिन्दा रखे हुए है।
उपसंहार
त्योहार हमारे लिए सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक हर दृष्टि से बेहद ही महत्वपूर्ण है, ऐसे में इन सभी त्योहारों की शुद्धता, पवित्रता व मूल भावना को बनाए रखने का दायित्व हम सभी पर है।
अतः हमारा यह नैतिक कर्तव्य और दायित्व है कि हम अपने त्यौहार अपने पारम्परिक तरीके से मनाये और अपने भारतीय संस्कृति के गौर
Answers & Comments
Answer:
भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है और कहा भी जाना चाहिए क्योंकि हमारे देश के कोने कोने में न जाने कितने सैकड़ों हज़ारों त्यौहार मनाये जाते है। देश में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहारों के अलावे हर राज्य और हर क्षेत्र में कुछ अलग तरह के उत्सव भी मनाये जाते है।
पुरे अखंड भारत में शायद ही कोई ऐसा महीना गुजरता होगा जब भारत के किसी हिस्से में कोई त्यौहार न मनाया गया हो।
भारत में अनेक तरह के त्योहार मनाये जाते है, कुछ ऐसे त्योहार जो कि धार्मिक कहानियों से उपजते है तो कुछ धार्मिक मान्यताओं के आधार पर बने हुए है। होली, दिवाली, ईद, मुहर्रम ये सभी मुख रूप से धार्मिक त्योहार कि श्रेणी में आते है।
कुछ ऐसे भी त्योहार है जो ऋतुओं और फसलों के आधार पर मनाये जाते है जैसे कि लोहरी, वैशाखी, मकर संक्रांति, ओनम, पोंगल।
भारत में तीन ऐसे दिन है जिसे राष्ट्रीय त्योहार के रूप में नया जाता है, स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त), गणतंत्रता दिवस (26 जनवरी) और गाँधी जयंती (2 अक्टूबर)।
केरल से लेकर पंजाब तक और राजस्थान से लेकर असम तक। हर तरफ के त्योहारों के अपने अपने मायने है और मानना का अपना अपना तरीका।
त्योहारों का महत्त्व
त्योहार हमारे लिए बेहद ही जरूरी है, भले ही हमारे अधिकतर त्योहार धार्मिक मान्यताओं की उपज है लेकिन आज के परिपेक्ष में भी त्योहार हमारे लिए उतना ही महत्वपूर्ण है।
भारत में मनाये जाने वाले सभी त्योहार जनमानस को खुशियाँ, उल्लास व उत्साह प्रदान करती है साथ ही सभी त्योहार अपने साथ एक खास सन्देश लेकर आती है जो की समाज और देश के विकास के लिए होती है।
भाई बहन के प्रेम को दर्शाने के लिए हम रक्षाबंधन मानते है तो दसहरा में अपने अंदर मौजूद बुराई के रावण का दहन करते है।
त्योहार हमारे भारत की अखंडता को बनाने रखने में काफी मददगार साबित होता, यह हमारे अनेकता में एकता का सबसे बड़ा उदहारण है। त्योहारों की मदद से ऊंच नीच जैसे कुरीतियों का नास होता है। हर जाती, धर्म, वर्ग के लोग साथ आकर खुशियां मनाते है।
हमारे देश में भले ही अलग अलग धर्म, जाती, स्थान के अनुसार अलग अलग तरह के त्योहार मनाये जाते है लेकिन इन सभी त्योहारों का एक ही मूल होता है। ये त्योहार ही तो है जो समस्त भारतवासियों को एक सूत्र में पिरोए रखता है। ये त्योहार ही तो है जो आज के भाग दौर के दुनिया से इतर हमें अपनों के साथ समय बिताने का मौका देती है। ये त्योहार ही तो है जो आज भी हमारे सभ्यता और संस्कृति को जिन्दा रखे हुए है।
उपसंहार
त्योहार हमारे लिए सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक हर दृष्टि से बेहद ही महत्वपूर्ण है, ऐसे में इन सभी त्योहारों की शुद्धता, पवित्रता व मूल भावना को बनाए रखने का दायित्व हम सभी पर है।
अतः हमारा यह नैतिक कर्तव्य और दायित्व है कि हम अपने त्यौहार अपने पारम्परिक तरीके से मनाये और अपने भारतीय संस्कृति के गौर