ramesh87901
निबन्ध साहित्य का प्रमुख अंग है। अतः इसे ठीक प्रकार से लिखने के लिए अध्ययन और अभ्यास की परम अवश्यकता है। निबन्ध लिखने वाला वनर्य विषय के बारे में जितनी अधिक बातों को जानता होगा उतना ही उसके विषय पर निबन्ध का कलेवर सुन्दर ऐवं पठनीय होगा। यह सब, पुस्तकों के परिशीलन, निजी अनुभव और निरीक्षण से प्राप्त किया जा सकता है। उसके साथ ही प्रतिभा से काम लेना चाहिए जो कि एक बार के अवलोकन व पठन से उसकी विशेष सामग्री को अपने में समेटकर रख सके और यथासमय उसका उपयोग किया जा सके। कला की दृष्टि से निबन्ध को सुन्दर बनाने के लिए विद्यार्थियों को निम्नलिखित बातों की और विशेष ध्यान देना चाहिए- भाव संगठन- निबन्ध में कभी भी भाव- संघर्ष नहीं होना चाहिए। उसकी व्याख्या के बाद सब भाव एकत्रित होकर एक उद्देश्य के रूप में होने चाहिए। किसी प्रकार के असंगत भावों का निबन्ध में समावेश नहीं होना चाहिए।
भावक्रम- निबन्ध के भावों का समावेश क्रमानुसार होना चाहिए
भाषा और शैली-.निबन्ध भावों का भण्डार होता है। अत: इसकी भाषा सरल, महावरेदार होनी चाहिए। कठिन शब्दों का प्रयोग करके भाषा को असून्दर नहीं बनाना चाहिए।.
व्याकरण- भाषा के साथ-साथ ही व्याकरण की और से भी उदासीन नहीं होना चाहिए। शब्दों ऐवं वाक्यों का प्रयोग व्याकरण के नियमानुसार ही होना चाहिए.
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भाव संगठन- निबन्ध में कभी भी भाव- संघर्ष नहीं होना चाहिए। उसकी व्याख्या के बाद सब भाव एकत्रित होकर एक उद्देश्य के रूप में होने चाहिए। किसी प्रकार के असंगत भावों का निबन्ध में समावेश नहीं होना चाहिए।
भावक्रम- निबन्ध के भावों का समावेश क्रमानुसार होना चाहिए
भाषा और शैली-.निबन्ध भावों का भण्डार होता है। अत: इसकी भाषा सरल, महावरेदार होनी चाहिए। कठिन शब्दों का प्रयोग करके भाषा को असून्दर नहीं बनाना चाहिए।.
व्याकरण- भाषा के साथ-साथ ही व्याकरण की और से भी उदासीन नहीं होना चाहिए। शब्दों ऐवं वाक्यों का प्रयोग व्याकरण के नियमानुसार ही होना चाहिए.