Question 2: हमारी सभ्यता धूल से क्यों बचना चाहती है?
उत्तर: हमारी सभ्यता को लगता है की धूल मैलेपन की निशानी है। उसे लगता है कि धूल से बाहरी सुंदरता पर बट्टा लगता है। इसलिए हमारी सभ्यता धूल से बचना चाहती है।...
शिशु का बचपन मातृभूमि की गोद में धूल से सनकर निखर उठता है। इसलिए धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना नहीं की जा सकती। यह धूल ही है जो | शिशु के मुँह पर पड़कर उसकी स्वाभाविक सुंदरता को उभारती है। ... हमारी सभ्यता धूल से इसलिए बचना चाहती है क्योंकि वह आसमान में अपना घर बनाना चाहती है।
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Question 2: हमारी सभ्यता धूल से क्यों बचना चाहती है?
उत्तर: हमारी सभ्यता को लगता है की धूल मैलेपन की निशानी है। उसे लगता है कि धूल से बाहरी सुंदरता पर बट्टा लगता है। इसलिए हमारी सभ्यता धूल से बचना चाहती है।...
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Answer:
शिशु का बचपन मातृभूमि की गोद में धूल से सनकर निखर उठता है। इसलिए धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना नहीं की जा सकती। यह धूल ही है जो | शिशु के मुँह पर पड़कर उसकी स्वाभाविक सुंदरता को उभारती है। ... हमारी सभ्यता धूल से इसलिए बचना चाहती है क्योंकि वह आसमान में अपना घर बनाना चाहती है।