किसी एक व्यक्ति की नशे की लत से परिवार और समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है इसलिए किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहना ही इसका सर्वोत्तम इलाज है। कुछ बीमारियों का इलाज ही बचाव है, जबकि कुछ बीमारियों से बचाव ही उनका इलाज है। नशे की आदत को छोड़ने के लिए पीड़ित को ऐसे लोगों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहिए, जो नशा ना करते हों। साथ ही सकारात्मक विचार रखते हों। नशे की सामग्री व्यक्ति को पहले उत्तेजित करती है, लेकिन उसके पश्चात जैसे-जैसे आप उसकी गिरफ्त में आते जाते हैं, वो व्यक्ति को भीतर से नकारात्मक बनाती है। जिससे व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास कम होने लगता है, जीवन में निराशा का भाव आने लगता है। साथ ही चिड़चिड़ापन पैदा होता है, जो उसकी सफलता और जीवन के रोजमर्रा के कामों में बाधक बनता है।
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✴✴✴नशा का दुष्प्रभाव✴✴✴ --------------------------------------------------- नशा एक अभिशाप है । यह एक ऐसी बुराई है, जिससे इंसान का अनमोल जीवन समय से पहले ही मौत का शिकार हो जाता है ।नशा नाश की जड़ है। नशा हर बुराई की जड़ है।
▶नशे के लिए समाज में शराब, गांजा, भांग, अफीम, जर्दा, गुटखा, तम्बाकु और धूम्रपान (बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, चिलम) सहित चरस, स्मैक, कोकिन, ब्राउन शुगर जैसे घातक मादक दवाओं और पदार्थों का उपयोग किया जा रहा है ।
▶इन जहरीले और नशीले पदार्थों के सेवन से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक हानि पहुंचने के साथ ही इससे सामाजिक वातावरण भी प्रदूषित होता ही है साथ ही स्वयं और परिवार की सामाजिक स्थिति को भी भारी नुकसान पहुंचाता है।
▶इन सभी मादक प्रदार्थों के सेवन का प्रचलन किसी भी स्थिति में किसी भी सभ्य समाज के लिए वर्जनीय होना चाहिए ।
▶इस अभिशाप से समय रहते मुक्ति पा लेने में ही मानव समाज की भलाई है । जो इसके चंगुल में फंस गया वह स्वयं तो बर्बाद होता ही है इसके साथ ही साथ उसका परिवार भी बर्बाद हो जाता है।
Answers & Comments
नशे का प्रभाव परिवार और समाज पर पड़ता है।
किसी एक व्यक्ति की नशे की लत से परिवार और समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है इसलिए किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहना ही इसका सर्वोत्तम इलाज है। कुछ बीमारियों का इलाज ही बचाव है, जबकि कुछ बीमारियों से बचाव ही उनका इलाज है। नशे की आदत को छोड़ने के लिए पीड़ित को ऐसे लोगों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहिए, जो नशा ना करते हों। साथ ही सकारात्मक विचार रखते हों। नशे की सामग्री व्यक्ति को पहले उत्तेजित करती है, लेकिन उसके पश्चात जैसे-जैसे आप उसकी गिरफ्त में आते जाते हैं, वो व्यक्ति को भीतर से नकारात्मक बनाती है। जिससे व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास कम होने लगता है, जीवन में निराशा का भाव आने लगता है। साथ ही चिड़चिड़ापन पैदा होता है, जो उसकी सफलता और जीवन के रोजमर्रा के कामों में बाधक बनता है।
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नशा एक अभिशाप है । यह एक ऐसी बुराई है, जिससे इंसान का अनमोल जीवन समय से पहले ही मौत का शिकार हो जाता है ।नशा नाश की जड़ है। नशा हर बुराई की जड़ है।
▶नशे के लिए समाज में शराब, गांजा, भांग, अफीम, जर्दा, गुटखा, तम्बाकु और धूम्रपान (बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, चिलम) सहित चरस, स्मैक, कोकिन, ब्राउन शुगर जैसे घातक मादक दवाओं और पदार्थों का उपयोग किया जा रहा है ।
▶इन जहरीले और नशीले पदार्थों के सेवन से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक हानि पहुंचने के साथ ही इससे सामाजिक वातावरण भी प्रदूषित होता ही है साथ ही स्वयं और परिवार की सामाजिक स्थिति को भी भारी नुकसान पहुंचाता है।
▶इन सभी मादक प्रदार्थों के सेवन का प्रचलन किसी भी स्थिति में किसी भी सभ्य समाज के लिए वर्जनीय होना चाहिए ।
▶इस अभिशाप से समय रहते मुक्ति पा लेने में ही मानव समाज की भलाई है । जो इसके चंगुल में फंस गया वह स्वयं तो बर्बाद होता ही है इसके साथ ही साथ उसका परिवार भी बर्बाद हो जाता है।