उत्तर :- यह प्रश्न पाठ "डायरी का एक पन्ना "से लिया गया है इसके लेखक का नाम सीताराम सेकसरिया है |
मदालसा जो जानकीदेवी और जमना लाल बजाज की पुत्री थी ,उसे भी गिरफ़्तार किया गया था।
मदालसा की सुभाष बाबू के जुलूस में बहुत अहम भूमिका थी | स्त्रियों ने बहुत तैयारियां की थी। अलग अलग जगहों से स्त्रियाँ अपना जुलूस निकालने और सही जगह पर पहुँचाने की कोशिश में लगी हुई थी। स्मारक के निचे सीढ़ियों पर स्त्रियां झंडा फहरा रही थी और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ रही थी। स्त्रियाँ बहुत अधिक संख्या में आई हुई थी।सुभाष बाबू की गिरफ़्तारी के कुछ देर बाद ही स्त्रियाँ वहाँ से जन समूह बना कर आगे बढ़ने लगी।। धर्मतल्ले के मोड़ पर आते - आते जुलूस टूट गया और लगभग 50 से 60 स्त्रियाँ वही मोड़ पर बैठ गई। उन स्त्रियों को लालबाज़ार ले जाया गया।उससे बाद में मालूम हुआ की उसको थाने में भी मारा गया था। सब मिलकर 105 स्त्रियों को गिरफ्तार किया गया था।
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उत्तर :- यह प्रश्न पाठ "डायरी का एक पन्ना "से लिया गया है इसके लेखक का नाम सीताराम सेकसरिया है |
मदालसा जो जानकीदेवी और जमना लाल बजाज की पुत्री थी ,उसे भी गिरफ़्तार किया गया था।
मदालसा की सुभाष बाबू के जुलूस में बहुत अहम भूमिका थी | स्त्रियों ने बहुत तैयारियां की थी। अलग अलग जगहों से स्त्रियाँ अपना जुलूस निकालने और सही जगह पर पहुँचाने की कोशिश में लगी हुई थी। स्मारक के निचे सीढ़ियों पर स्त्रियां झंडा फहरा रही थी और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ रही थी। स्त्रियाँ बहुत अधिक संख्या में आई हुई थी।सुभाष बाबू की गिरफ़्तारी के कुछ देर बाद ही स्त्रियाँ वहाँ से जन समूह बना कर आगे बढ़ने लगी।। धर्मतल्ले के मोड़ पर आते - आते जुलूस टूट गया और लगभग 50 से 60 स्त्रियाँ वही मोड़ पर बैठ गई। उन स्त्रियों को लालबाज़ार ले जाया गया।उससे बाद में मालूम हुआ की उसको थाने में भी मारा गया था। सब मिलकर 105 स्त्रियों को गिरफ्तार किया गया था।