स्वच्छ शरीर व्यक्तित्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। विचा के असंख्य छिदी को साफ करने का अचूक साधन मानकर मनुष्य ने
स्नान या नहाने की प्रथा बनाई। उसने स्नान करना शुरु किया। स्नान करने से रक्त संचार बढ़ता है। तरावट और ताज़गी आती है तथा
आलस्य दूर भाग जाता है।यही कारण है कि भारत में यह चलन पीढ़ी दर पीढ़ी निभाया जा रहा है। प्राचीन कालीन सभ्यता में हड़प्पा
से लेकर वर्तमान काल यानी आज तक कोई भी सभ्यता स्नान की उपयोगिता पर प्रश्न चिह्न नहीं लगा सकी।
1. स्वच्छ शरीर किसका हिस्सा होता है?
2. सुंदर व्यक्तित्व के लिए क्या आवश्यक है?
3. मनुष्य ने स्नान की प्रथा क्यों बनाई?
4. 'त्वचा' और 'तरावट' शब्दो के अर्थ लिखें।
5. इस गद्यांश का उचित शीर्षक लिखें।
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