क्षणभर के लिए सांप का शरीर बिजली की लकीर सा चमक उठा किन्तु उसने जीवन भर रेंगना सीखा था ,वह उड़ न पाया और धड़ाम से पत्थरों पर जा गिरा। दैवयोग से उसकी जान बच गयी। वह सोचने लगा कि बाज अभागा था जिसने आकाश की आजादी को प्राप्त करने में अपने प्राणों की बाजी लगा दी।
बाज अपने जीवन से संतुष्ट था। उसने जितना जीवन जिया, पूरी तरह से जिया था। उसने अपनी क्षमताओं का पूरा लाभ उठाया था और हर सुख भोग था। उसे तसल्ली थी कि उसने स्वतंत्र व आंनदपूर्ण जीवन जिया था। उसने अपने जीवन के हर पल को साहस और वीरता से व्यतीत किया था।
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क्षणभर के लिए सांप का शरीर बिजली की लकीर सा चमक उठा किन्तु उसने जीवन भर रेंगना सीखा था ,वह उड़ न पाया और धड़ाम से पत्थरों पर जा गिरा। दैवयोग से उसकी जान बच गयी। वह सोचने लगा कि बाज अभागा था जिसने आकाश की आजादी को प्राप्त करने में अपने प्राणों की बाजी लगा दी।
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बाज अपने जीवन से संतुष्ट था। उसने जितना जीवन जिया, पूरी तरह से जिया था। उसने अपनी क्षमताओं का पूरा लाभ उठाया था और हर सुख भोग था। उसे तसल्ली थी कि उसने स्वतंत्र व आंनदपूर्ण जीवन जिया था। उसने अपने जीवन के हर पल को साहस और वीरता से व्यतीत किया था।