agar aap Kisi Se Nafrat karte ho to abhi bhi aapse Nafrat hi karta hai yah Jaruri Nahin Hai aur aap Kisi Se sunane Karte Ho To vah bhi aapse snake Karta Hai yah Jaruri Nahin Hai isliye inmein Ek Samanta Nahin Hai
नफरत से नफरत बढ़ती है और स्नेह से स्नेह बढ़ता है इस कथन पर हमारे विचार इस प्रकार हैं |
Explanation:
नफरत से नफरत बढ़ती है और स्नेह से स्नेह बढ़ता है इस कथन पर हमारे विचार इस प्रकार हैं:
यदि हम किसी से नफरत करते हैं और उस व्यक्ति को यह पता चल जाता है तो उसकी नजरों में भी हमारे लिए नफरत उत्पन्न हो जाती है।
इसी प्रकार यदि हम किसी से स्नेह भाव से बात करते हैं और उस व्यक्ति को यह पता चल जाता है तो उसके मन में भी हमारे लिए अच्छी भावना उत्पन्न होने लगती है और वह भी हमसे स्नेह बर्ताव करने लगता है।
इस प्रकार यदि हम किसी से नफरत करते हैं तो नफरत ही बढ़ती है और यदि हम किसी से स्नेह करते हैं तो प्यार बढ़ता है।
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agar aap Kisi Se Nafrat karte ho to abhi bhi aapse Nafrat hi karta hai yah Jaruri Nahin Hai aur aap Kisi Se sunane Karte Ho To vah bhi aapse snake Karta Hai yah Jaruri Nahin Hai isliye inmein Ek Samanta Nahin Hai
नफरत से नफरत बढ़ती है और स्नेह से स्नेह बढ़ता है इस कथन पर हमारे विचार इस प्रकार हैं |
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