सामाजिक अंतर निम्न प्रकार से सामाजिक विभाजनों का रूप ले लेते हैं :
प्रत्येक सामाजिक अंतर सामाजिक विभाजन का रूप नहीं ले सकता है। समाजिक अंतर का अर्थ है किसी समूह में कुछ आधारों पर अंतर जैसे कि प्रजाति, धर्म ,जाति, रंग, भाषा इत्यादि। जब कुछ सामाजिक अंतर कुछ और समाजिक अंतरों के सैट से हाथ मिला लेते हैं तो सामाजिक विभाजन बन जाते हैं। इसका अर्थ यह है कि जब कुछ समाजिक अंतर एक दूसरे से मिल जाते हैं तो यह सामाजिक विभाजन बन जाते हैं। यहां पर हम अमेरिका के श्वेतों तथ अश्वेतों का उदाहरण लें सकते हैं। इन दोनों समूहो में एकमात्र अंतर प्रजाति का है कि वह श्वेत तथा अश्वेत प्रजाति से संबंध रखते हैं । यह एक सामाजिक अंतर है परंतु जब और सामाजिक अंतरों का सैट इस सैट से मिल जाता है, जैसे कि अश्वेत लोग निर्धन तथा बेकार है तो यह समाजिक विभाजन बन जाता है। इससे इन दोनों समुदायों में एक भावना आती है कि वह अलग अलग है।
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सामाजिक अंतर निम्न प्रकार से सामाजिक विभाजनों का रूप ले लेते हैं :
प्रत्येक सामाजिक अंतर सामाजिक विभाजन का रूप नहीं ले सकता है। समाजिक अंतर का अर्थ है किसी समूह में कुछ आधारों पर अंतर जैसे कि प्रजाति, धर्म ,जाति, रंग, भाषा इत्यादि। जब कुछ सामाजिक अंतर कुछ और समाजिक अंतरों के सैट से हाथ मिला लेते हैं तो सामाजिक विभाजन बन जाते हैं। इसका अर्थ यह है कि जब कुछ समाजिक अंतर एक दूसरे से मिल जाते हैं तो यह सामाजिक विभाजन बन जाते हैं। यहां पर हम अमेरिका के श्वेतों तथ अश्वेतों का उदाहरण लें सकते हैं। इन दोनों समूहो में एकमात्र अंतर प्रजाति का है कि वह श्वेत तथा अश्वेत प्रजाति से संबंध रखते हैं । यह एक सामाजिक अंतर है परंतु जब और सामाजिक अंतरों का सैट इस सैट से मिल जाता है, जैसे कि अश्वेत लोग निर्धन तथा बेकार है तो यह समाजिक विभाजन बन जाता है। इससे इन दोनों समुदायों में एक भावना आती है कि वह अलग अलग है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
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