पर्यावरण आधुनिक युग में मनुष्य व मानवता के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है । प्रकृति ने हमें सभी प्रकार के प्राकृतिक संसाधन भरपूर मात्रा में उपहार स्वरुप प्रदान किये परन्तु हम अपने स्वार्थ, लालच से वशीभूत होकर अज्ञानतावश ना तो इस दिव्य उपहार का समुचित आदर ही कर सके और ना ही इसे संभाल पाए । ग्लोबल वार्मिंग के रूप में इसके दुष्परिणाम पूरी दुनिया व मानवता के लिए सबके सामने हैं । बड़े शहरों में व्यवसायीकरण के कारण जंगल कटते जा रहे हे परिणाण स्वरुप वायु, जल व ध्वनि प्रदूषण अपने चरम पर है जो की मानव जीवन के लिए विष के समान है । जंगली जानवर जो की खाद्य श्रृंखला के महत्वपूर्ण बिंदु हैं भी लुप्त होने लगे हैं तथा जगह के अभाव में मानव के साथ उनका संघर्ष भी सर्वविदित है । ये तो एक शरुआत हे पर्यावरण से छेड़छाड़ की, ना जाने आने वाले समय में इसका कहर मानवता पर किस प्रकार बरसेगा । अभी भी समय हे कि हम सब अपने निजी स्वार्थों व लालच को परे रख प्रकृति के इस बहुमूल्य उपहार पर्यावरण के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध हो जाएँ जिससे हमारी आने वाली नस्लें भी इसका उपयोग कर आनंदित हो सके ।
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पर्यावरण आधुनिक युग में मनुष्य व मानवता के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है । प्रकृति ने हमें सभी प्रकार के प्राकृतिक संसाधन भरपूर मात्रा में उपहार स्वरुप प्रदान किये परन्तु हम अपने स्वार्थ, लालच से वशीभूत होकर अज्ञानतावश ना तो इस दिव्य उपहार का समुचित आदर ही कर सके और ना ही इसे संभाल पाए । ग्लोबल वार्मिंग के रूप में इसके दुष्परिणाम पूरी दुनिया व मानवता के लिए सबके सामने हैं । बड़े शहरों में व्यवसायीकरण के कारण जंगल कटते जा रहे हे परिणाण स्वरुप वायु, जल व ध्वनि प्रदूषण अपने चरम पर है जो की मानव जीवन के लिए विष के समान है । जंगली जानवर जो की खाद्य श्रृंखला के महत्वपूर्ण बिंदु हैं भी लुप्त होने लगे हैं तथा जगह के अभाव में मानव के साथ उनका संघर्ष भी सर्वविदित है । ये तो एक शरुआत हे पर्यावरण से छेड़छाड़ की, ना जाने आने वाले समय में इसका कहर मानवता पर किस प्रकार बरसेगा । अभी भी समय हे कि हम सब अपने निजी स्वार्थों व लालच को परे रख प्रकृति के इस बहुमूल्य उपहार पर्यावरण के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध हो जाएँ जिससे हमारी आने वाली नस्लें भी इसका उपयोग कर आनंदित हो सके ।