करण को राजे की इच्छा नहीं थी क्योंकि वह सिरफ अपनी दोस्त की मदद करना चाहता था वह पहले से ही एक सारथी का बेटा था, उसमे जीवन भर सिरफ ऐसे ही रहाना सिखा था इसलिय उनसे राज्य की इच्छा नहीं
कर्ण इस संसार के त्यागी और दानी पुरुष थे जीन्हे किसी भी चीज का लोभ नहीं था । उन्हें इन सभी चीजों में रूचि नहीं थी। राज्य प्राप्त होने पर कई राजाओ के पास संपत्ति , चमक दमक ऐशो आराम प्राप्त होता था परंतु कर्ण इन वस्तुओं को ज्यादा महत्व न देते थे। कर्ण भगवान बहुत दानशूर थे उन्होंने किसी से कुछ लेने के जगह किसी को कुछ देने में ज्यादा महत्व दिया इसके चलते कर्ण को दानवीर भी कहा जाता था । उनके इस स्वभाव के कारण उन्हें राज्य की इच्छा नहीं थी।
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करण को राजे की इच्छा नहीं थी क्योंकि वह सिरफ अपनी दोस्त की मदद करना चाहता था वह पहले से ही एक सारथी का बेटा था, उसमे जीवन भर सिरफ ऐसे ही रहाना सिखा था इसलिय उनसे राज्य की इच्छा नहीं
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