इस श्लोक का अर्थ है: आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं, न आग उसे जला सकती है। न पानी उसे भिगो सकता है, न हवा उसे सुखा सकती है। (यहां भगवान श्रीकृष्ण ने आत्मा के अजर-अमर और शाश्वत होने की बात की है।
(2)हतो वा प्राप्यसि स्वर्गम्, जित्वा वा भोक्ष्यसे महिम्।
वा प्राप्यसि स्वर्गम्, जित्वा वा भोक्ष्यसे महिम्।तस्मात् उत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चय:॥
Answers & Comments
Answer:
(1) नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक: ।
(1) नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक: ।न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत ॥
इस श्लोक का अर्थ है: आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं, न आग उसे जला सकती है। न पानी उसे भिगो सकता है, न हवा उसे सुखा सकती है। (यहां भगवान श्रीकृष्ण ने आत्मा के अजर-अमर और शाश्वत होने की बात की है।
(2) हतो वा प्राप्यसि स्वर्गम्, जित्वा वा भोक्ष्यसे महिम्।
वा प्राप्यसि स्वर्गम्, जित्वा वा भोक्ष्यसे महिम्।तस्मात् उत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चय:॥
Explanation:
Deccan was ruled by Bijapur sultan ,Qutubshahi ,Marathas ,Berar chief and the naiks.
Now to defeat Aurangzeb all the three kingdoms of Deccan united their army .
Prince Akbar (the rebel prince ,son of Aurangzeb ) had taken refuge with Sambhaji