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रात का राजा भिखारी बनकर खड़ा है - कविता के आधार पर इस पंक्ति का भाव यह है कि रात में अपनी छटा बिखेरने वाला चन्द्रमा सूर्य की तीक्ष्णता के आगे विवश पड़ा है, मानो भिखारी बन गया हो। मानो रात का साम्राज्य खो गया है।
रात का राजा किसे कहा गया है और वह भिखारी बनकर क्यों खड़ा है
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रात का राजा भिखारी बनकर खड़ा है - कविता के आधार पर इस पंक्ति का भाव यह है कि रात में अपनी छटा बिखेरने वाला चन्द्रमा सूर्य की तीक्ष्णता के आगे विवश पड़ा है, मानो भिखारी बन गया हो। मानो रात का साम्राज्य खो गया है।
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रात का राजा किसे कहा गया है और वह भिखारी बनकर क्यों खड़ा है