हालदार साहब ने सोचा कि इस बार कैप्टन चश्मेवाला संगमरमर की मूर्ति जो नेताजी की थी उसके लिए चश्मा बनाना भूल गया। लेकिन जब वह उस खुशमिजाज पानवाला से पूछा तब उसने बताया कि कैप्टन नहीं रहा। इसलिए उस मूर्ति पर कोई चश्मा नहीं था।
हालदार साहब ने सोचा कि इस बार कैप्टन चश्मेवाला संगमरमर की मूर्ति जो नेताजी की थी उसके लिए चश्मा बनाना भूल गया। लेकिन जब वह उस खुशमिजाज पानवाला से पूछा तब उसने बताया कि कैप्टन नहीं रहा। इसलिए उस मूर्ति पर कोई चश्मा नहीं था।
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हालदार साहब ने सोचा कि इस बार कैप्टन चश्मेवाला संगमरमर की मूर्ति जो नेताजी की थी उसके लिए चश्मा बनाना भूल गया। लेकिन जब वह उस खुशमिजाज पानवाला से पूछा तब उसने बताया कि कैप्टन नहीं रहा। इसलिए उस मूर्ति पर कोई चश्मा नहीं था।
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