स्त्री० [सं०] व्याकरण में वाक्य के अंतर्गत अपने स्थान के विचार से क्रिया के दो भेदों में से एक, वह पूर्ण क्रिया जिसका काल किसी दूसरी अपूर्ण क्रिया के काल के बाद आता है और जिससे किसी कार्य की समाप्ति सूचित होती है। जैसा—वह घर जाकर बैठ रहा। में बैठ रहा समापिका क्रिया है, क्योंकि उससे कार्य की समाप्ति सूचित होती है।
Answer=>व्याकरण में वाक्य के अंतर्गत अपने स्थान के विचार से क्रिया के दो भेदों में से एक, वह पूर्ण क्रिया जिसका काल किसी दूसरी अपूर्ण क्रिया के काल के बाद आता है और जिससे किसी कार्य की समाप्ति सूचित होती है। जैसावह घर जाकर बैठ रहा। में बैठ रहा समापिका क्रिया है, क्योंकि उससे कार्य की समाप्ति सूचित होती है।
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स्त्री० [सं०] व्याकरण में वाक्य के अंतर्गत अपने स्थान के विचार से क्रिया के दो भेदों में से एक, वह पूर्ण क्रिया जिसका काल किसी दूसरी अपूर्ण क्रिया के काल के बाद आता है और जिससे किसी कार्य की समाप्ति सूचित होती है। जैसा—वह घर जाकर बैठ रहा। में बैठ रहा समापिका क्रिया है, क्योंकि उससे कार्य की समाप्ति सूचित होती है।
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Question => समापिका क्रिया किसे कहते हैं ?
Answer => व्याकरण में वाक्य के अंतर्गत अपने स्थान के विचार से क्रिया के दो भेदों में से एक, वह पूर्ण क्रिया जिसका काल किसी दूसरी अपूर्ण क्रिया के काल के बाद आता है और जिससे किसी कार्य की समाप्ति सूचित होती है। जैसावह घर जाकर बैठ रहा। में बैठ रहा समापिका क्रिया है, क्योंकि उससे कार्य की समाप्ति सूचित होती है।