लेखिका ने जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को अत्यंत मधुर बताया है । वह उनके लड़कों को राखी बांधी थी तथा उनकी पत्नी को ताई कहती थी। नवाब के बच्चे इनकी माता जी को चचीजान कहते थे। वे आपस में मिल जुलकर सभी त्यौहार मनाते थे। दोनों परिवारों के बच्चों के जन्मदिन एक दूसरे के घर बनाए जाते थे । उनके बीच सांप्रदायिक भेदभाव नहीं था। लेकिन आज का वातावरण इतना अधिक विषाक्त हो गया है कि सभी अपने अपने संप्रदाय के संकुचित दायरे तक सीमित हो गए हैं। इसलिए लेखिका को अपने बचपन के दिनों में जवारा के नवाब के साथ अपने परिवार के आत्मिक संबंध ख्वाब जैसे लगते हैं।
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लेखिका ने जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को अत्यंत मधुर बताया है । वह उनके लड़कों को राखी बांधी थी तथा उनकी पत्नी को ताई कहती थी। नवाब के बच्चे इनकी माता जी को चचीजान कहते थे। वे आपस में मिल जुलकर सभी त्यौहार मनाते थे। दोनों परिवारों के बच्चों के जन्मदिन एक दूसरे के घर बनाए जाते थे । उनके बीच सांप्रदायिक भेदभाव नहीं था। लेकिन आज का वातावरण इतना अधिक विषाक्त हो गया है कि सभी अपने अपने संप्रदाय के संकुचित दायरे तक सीमित हो गए हैं। इसलिए लेखिका को अपने बचपन के दिनों में जवारा के नवाब के साथ अपने परिवार के आत्मिक संबंध ख्वाब जैसे लगते हैं।