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कबीरदास की भाषा साधारण जन की भाषा थी। उनकी भाषा को 'सधुक्कड़ी' व 'पंचमेल खिचड़ी' कहा जाता है। उनकी भाषा में ब्रज, पूर्वी हिन्दी, पंजाबी, अवधी व राजस्थानी भाषाओं का मिश्रण देखने को मिलता है। कबीर ने अपनी बात 'सबद' व 'साखी' शैली में कही है।
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कबीरदास की भाषा साधारण जन की भाषा थी। उनकी भाषा को 'सधुक्कड़ी' व 'पंचमेल खिचड़ी' कहा जाता है। उनकी भाषा में ब्रज, पूर्वी हिन्दी, पंजाबी, अवधी व राजस्थानी भाषाओं का मिश्रण देखने को मिलता है। कबीर ने अपनी बात 'सबद' व 'साखी' शैली में कही है।
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