अपने रंग रूप सुंदर दिखने के बजाय अपने कर्मों से सुंदर दिखने से आशय है कि मनुष्य को एक दूसरे की पहचान रंग रूप से नहीं करनी चाहिए उसके पहनावे को देखकर नहीं करनी चाहिए उसके काले गोरे चेहरे को देखकर नहीं करनी चाहिए और तथा उसकी पहचान उसके कर्मों को देखकर करनी चाहिए और ऐसा ही होता भी है क्योंकि छे बहना अभी मैं भी को टेक्स्ट लोग छुपे होते हैं और साधारण कपड़ों में भी ऋषि मुनि जैसे महान चरित्र के लोग होते हैं अतः हमें अपने रंग रूप सुंदर दिखने के बजाय अपने कर्मों सुंदर दिखना चाहिए तभी हम एक महान व्यक्ति बन पाएंगे
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अपने रंग रूप सुंदर दिखने के बजाय अपने कर्मों से सुंदर दिखने से आशय है कि मनुष्य को एक दूसरे की पहचान रंग रूप से नहीं करनी चाहिए उसके पहनावे को देखकर नहीं करनी चाहिए उसके काले गोरे चेहरे को देखकर नहीं करनी चाहिए और तथा उसकी पहचान उसके कर्मों को देखकर करनी चाहिए और ऐसा ही होता भी है क्योंकि छे बहना अभी मैं भी को टेक्स्ट लोग छुपे होते हैं और साधारण कपड़ों में भी ऋषि मुनि जैसे महान चरित्र के लोग होते हैं अतः हमें अपने रंग रूप सुंदर दिखने के बजाय अपने कर्मों सुंदर दिखना चाहिए तभी हम एक महान व्यक्ति बन पाएंगे
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