10 दिनों बाद वह चिड़िया आम खा-खा कर मोटी-ताजी होने के बाद अपने घोंस
टी। उसने देखा कि घोंसले में खरगोशा आराम से बैठा हुआ है। उसे बड़ा गुस्स
पा, "चोर कही के, मैं नहीं थी तो मेरे घर में घुस गए हो?" चलो बाहर निकलो मेरे
गोश ने शान्ति से जवाब दिया, "कहाँ का तुम्हारा घर? कौन सा तुम्हारा घर? तु
यह घर मेरा है। बेकार में मुझे तंग मत करो। यह बात सुनकर चिड़िया कहने
नहीं होगा। किसी विद्वान के पास चलते हैं। वह ही अब इस बात का फैसला
नजदीक में एक बड़ी सी बिल्ली बैठकर कुछ पाठ कर रही थी। वैसे तो यह बि
भी लेकिन वहाँ और कोई भी नहीं था इसलिए उन दोनों ने उसके पास
।। सावधानी बरतते हुए बिल्ली के पास जा कर उन्होंने अपनी समस्या बताई
उलझन तो बता दी, अब इसका हल क्या है? इसका जवाब आपसे सुनना
ह घोंसला मिल जाएगा।"