हमारा देश भारत विविधताओं का संगम है I यहाँ विभिनन जाति-धर्म के लोग उसी प्रकार मिल-जुलकर रहते हैं; जैसे - गुलदस्ते मे सजे फूल। यहाँ रहने वाले अपनी रुचि , धर्म आदि के अनुसार तरह-तरह के त्योहार मनाते है I भारतयों द्वारा मनाए जाने वाले त्योहारों में प्रमुख त्योहार है - होली। इस त्योहार की मस्ती और उल्लास इसे विशिष्ट बनाती है I होली वसंत ऋतु का प्रमुख त्योहार है।
वसंत ऋतु में प्रकृति का सौदर्य चरम पर होता है। खेतों में फसले पकने को तैयार रहती है। तरह-तरह के अनाज., फल एवं सब्जियाँ तैयार मिलती है, जो अच्छे दिनों की आशा में मन को उत्साह से भर देती है। रंग-बिरंगे फूलों को देखकर मन प्रसन्न हो जाता है। वासंती हवा वातावरण को मादक बना देती है I ऐसे ही उल्लासित वातावरण मे यह त्योहार मनाया जाता है I
होली का त्योहार मनाने के पीछे पौराणिक कथा यह है कि हिरण्यकश्यप नामक एक अत्यंत क्रूर और अत्याचारी राक्षसराज था। वह स्वयं को सर्वोपरि समझता था। उसका अहंकार बढ़ता गया और वह स्वयं को भगवान समझने लगा। वह चाहता था कि सभी उसे भगवान मानकर उसकी पूजा करें। हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद ईश्वर का सच्चा भक्त था। जब उसने अपने पिता की अनुचित आज्ञा का विरोध किया, तो उसे तरह - तरह की यातनाएँ सहनी पड़ी , फिर भी उसकी आस्था भगवान में कम न हुई।
हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने का असफल प्रयास किया। अंत मे उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह प्रहलाद को लेकर आग में बैठ जाए, क्योंकि होलिका को आग में न जलने का वरदान मिला था। प्रहलाद को गोद मे लेकर होलिका आग में बैठी , पर वह जल गई और प्रहलाद बच गया। बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में यह त्योहार प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
होली का त्योहार प्रतिवर्ष फागुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसे दो दिनों तक मनाया जाता है। इस अवसर पर गाँव, कस्बें या शहर के किसी मुख्य स्थान पर लकड़ियो का ढेर एकत्र कर होली जलाई जाती है। इसमें नई फसलों की बालियाँ भूनकर नया अनाज खाने की परिपाटी है।
अगला दिन मस्ती एवं उत्साह का तुफान लेकर आता है। बच्चे , युवा और जवान एक - दूसरे पर रंग डालकर नख - शिख भिगो देते हैं। लोग रंगों मे इतना सराबोर हो जाते है कि पहचानना कठिन हो जाता है। इस अवसर पर बच्चो और युवा बूढ़ो को अबीर - गुलाल लगाते है और चरण छू कर आशीर्वाद लेना नहीं भूलते हैं। लोग एक - दूसरे को होली की शुभकामनाएँ देते हैं और आनंदित होते हैं।
होली परस्पर प्रेम और सौहार्द्र बढ़ाने वाला त्योहार है। हमें किसी पर जबरदस्ती रंग डालकर नाराज नहीं करना चाहिए। इस दिन तो दुश्मन भी बैर - भाव भूलकर गले मिलते हैं। होली को सादगीपूर्वक मनाना चाहिए तथा भूलकर भी ग्रीस , पेट , तेल आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए, जिससे हम सभी के लिए होली शुभ हो।
होली को रंगों के त्योहार के रूप में जाना जाता है। होली भारत के सबसे सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, होली का त्योहार फागुन मास की पूर्णिमा तिथि को आता है। फागुन महीने में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को होलीका दहन किया जाता है, जबकि पूर्णिमा तिथि को रंगों के साथ होली मनाई जाती है। बदलते समय के साथ साथ होली का स्वरूप भी बदल गया है। हर साल होली पर रंगों के साथ खेलने और मनोरम व्यंजनों का सेवन किया जाता है। होली पर हम अपने दोस्तों और परिवार के साथ खुशियां मनाते हैं। लोग अपनी परेशानियों और द्वेषों को भूल जाते हैं और एक दूसरे को रंग लगाते हैं।
होली का त्योहार न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में मनाया जाता है। यह एकता का त्योहार भी है क्योंकि यह लोगों को जाति, जातीयता या धर्म की परवाह किए बिना त्योहार मनाने के लिए एक साथ आते हैं। भारत में होली दो दिनों तक मनाई जाती है। पहले दिन लोग होलिका दहन करते हैं और होली से संबंधित भजन गाते हैं। जबकि दूसरे दिन सभी लोग एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं। एक साथ भोजन करते हैं। होली में गुजिया की मिठाई विशेष रूप से खाई जाती है। इतना ही नहीं होली पर कई लोग भांग और ठंडाई भी पीते हैं। लेकिन लोगों को होली खेलते समय अपने परिवेश के प्रति जागरूक रहना चाहिए और सावधान रहना चाहिए कि किसी को नुकसान न पहुंचे। भारत में कुछ जगहों पर होली को पांच दिनों तक भी मनाई जाती है।
होली के इतिहास की बात करें तो हिंदू धर्म का मानना है कि हिरण्यकश्यप नाम का एक शैतान राजा था। उनका एक पुत्र था जिसका नाम प्रह्लाद था और एक बहन जिसका नाम होलिका था। ऐसा माना जाता है कि शैतान राजा के पास भगवान ब्रह्मा का आशीर्वाद था। इस आशीर्वाद का मतलब कोई भी आदमी, जानवर या हथियार उसे नहीं मार सकता था। यह आशीर्वाद उसके लिए अभिशाप बन गया और उसने अपने पुत्र को नहीं बख्शा क्योंकि वह बहुत घमंडी हो गया था। उसने अपने राज्य को भगवान के बजाय उसकी पूजा करने का आदेश दिया।
इसके बाद, सभी लोग हिरण्यकश्यप की पूजा करने लगे, लेकिन प्रह्लाद ने अपने पिता की पूजा करने से इनकार कर दिया क्योंकि प्रह्लाद भगवान विष्णु सच्चे भक्त थे। शैतान राजा हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र की अवज्ञा को देखकर ने अपनी बहन के साथ प्रह्लाद को मारने की योजना बनाई। उसने होलिका की गोद में अपने बेटे प्रह्लाद को आग में बैठाया, जहां होलिका जल गई और भगवान विष्णु के आशीवार्द से प्रह्लाद सुरक्षित निकल आए। तब से लोगों ने बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होली मनाना शुरू कर दिया।
होली के मुख्य बिंदु
1. होली का त्यौहार (Holi Festival) समाज में चल रही कुरीतियों को समाप्त करने का पर्व है।
2. होली प्रेम और भाई-चारे का प्रतिक है। इस दिन एक दूसरे को रंग लगाकर हीनभावना को समाप्त किया जाता है।
3. होली पर प्रेमी-प्रेमिका के अलावा पिता पुत्र, भाई बहन, देवर भाभी, सभी लोग अपने रिश्तों को मजबूत करने के लिए रंग लगाते हैं।
4. भक्त प्रहलाद ने भी भगवान विष्णु जी को रंग लगाकर अपनी भक्ति को पहले से ज्यादा मजबूत किया और सभी में प्रेम का सन्देश दिया।
5 होली पर हमें संकल्प करना चाहिए कि हम कोई गलत कार्य ना करें, सभी लगो प्रेम भाव से एक-दूसरे के साथ मिल-जुलकर रहें।
Answers & Comments
Verified answer
Essay
रंगों का त्योहार (होली)
हमारा देश भारत विविधताओं का संगम है I यहाँ विभिनन जाति-धर्म के लोग उसी प्रकार मिल-जुलकर रहते हैं; जैसे - गुलदस्ते मे सजे फूल। यहाँ रहने वाले अपनी रुचि , धर्म आदि के अनुसार तरह-तरह के त्योहार मनाते है I भारतयों द्वारा मनाए जाने वाले त्योहारों में प्रमुख त्योहार है - होली। इस त्योहार की मस्ती और उल्लास इसे विशिष्ट बनाती है I होली वसंत ऋतु का प्रमुख त्योहार है।
वसंत ऋतु में प्रकृति का सौदर्य चरम पर होता है। खेतों में फसले पकने को तैयार रहती है। तरह-तरह के अनाज., फल एवं सब्जियाँ तैयार मिलती है, जो अच्छे दिनों की आशा में मन को उत्साह से भर देती है। रंग-बिरंगे फूलों को देखकर मन प्रसन्न हो जाता है। वासंती हवा वातावरण को मादक बना देती है I ऐसे ही उल्लासित वातावरण मे यह त्योहार मनाया जाता है I
होली का त्योहार मनाने के पीछे पौराणिक कथा यह है कि हिरण्यकश्यप नामक एक अत्यंत क्रूर और अत्याचारी राक्षसराज था। वह स्वयं को सर्वोपरि समझता था। उसका अहंकार बढ़ता गया और वह स्वयं को भगवान समझने लगा। वह चाहता था कि सभी उसे भगवान मानकर उसकी पूजा करें। हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद ईश्वर का सच्चा भक्त था। जब उसने अपने पिता की अनुचित आज्ञा का विरोध किया, तो उसे तरह - तरह की यातनाएँ सहनी पड़ी , फिर भी उसकी आस्था भगवान में कम न हुई।
हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने का असफल प्रयास किया। अंत मे उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह प्रहलाद को लेकर आग में बैठ जाए, क्योंकि होलिका को आग में न जलने का वरदान मिला था। प्रहलाद को गोद मे लेकर होलिका आग में बैठी , पर वह जल गई और प्रहलाद बच गया। बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में यह त्योहार प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
होली का त्योहार प्रतिवर्ष फागुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसे दो दिनों तक मनाया जाता है। इस अवसर पर गाँव, कस्बें या शहर के किसी मुख्य स्थान पर लकड़ियो का ढेर एकत्र कर होली जलाई जाती है। इसमें नई फसलों की बालियाँ भूनकर नया अनाज खाने की परिपाटी है।
अगला दिन मस्ती एवं उत्साह का तुफान लेकर आता है। बच्चे , युवा और जवान एक - दूसरे पर रंग डालकर नख - शिख भिगो देते हैं। लोग रंगों मे इतना सराबोर हो जाते है कि पहचानना कठिन हो जाता है। इस अवसर पर बच्चो और युवा बूढ़ो को अबीर - गुलाल लगाते है और चरण छू कर आशीर्वाद लेना नहीं भूलते हैं। लोग एक - दूसरे को होली की शुभकामनाएँ देते हैं और आनंदित होते हैं।
होली परस्पर प्रेम और सौहार्द्र बढ़ाने वाला त्योहार है। हमें किसी पर जबरदस्ती रंग डालकर नाराज नहीं करना चाहिए। इस दिन तो दुश्मन भी बैर - भाव भूलकर गले मिलते हैं। होली को सादगीपूर्वक मनाना चाहिए तथा भूलकर भी ग्रीस , पेट , तेल आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए, जिससे हम सभी के लिए होली शुभ हो।
Answer:
होली को रंगों के त्योहार के रूप में जाना जाता है। होली भारत के सबसे सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, होली का त्योहार फागुन मास की पूर्णिमा तिथि को आता है। फागुन महीने में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को होलीका दहन किया जाता है, जबकि पूर्णिमा तिथि को रंगों के साथ होली मनाई जाती है। बदलते समय के साथ साथ होली का स्वरूप भी बदल गया है। हर साल होली पर रंगों के साथ खेलने और मनोरम व्यंजनों का सेवन किया जाता है। होली पर हम अपने दोस्तों और परिवार के साथ खुशियां मनाते हैं। लोग अपनी परेशानियों और द्वेषों को भूल जाते हैं और एक दूसरे को रंग लगाते हैं।
होली का त्योहार न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में मनाया जाता है। यह एकता का त्योहार भी है क्योंकि यह लोगों को जाति, जातीयता या धर्म की परवाह किए बिना त्योहार मनाने के लिए एक साथ आते हैं। भारत में होली दो दिनों तक मनाई जाती है। पहले दिन लोग होलिका दहन करते हैं और होली से संबंधित भजन गाते हैं। जबकि दूसरे दिन सभी लोग एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं। एक साथ भोजन करते हैं। होली में गुजिया की मिठाई विशेष रूप से खाई जाती है। इतना ही नहीं होली पर कई लोग भांग और ठंडाई भी पीते हैं। लेकिन लोगों को होली खेलते समय अपने परिवेश के प्रति जागरूक रहना चाहिए और सावधान रहना चाहिए कि किसी को नुकसान न पहुंचे। भारत में कुछ जगहों पर होली को पांच दिनों तक भी मनाई जाती है।
होली के इतिहास की बात करें तो हिंदू धर्म का मानना है कि हिरण्यकश्यप नाम का एक शैतान राजा था। उनका एक पुत्र था जिसका नाम प्रह्लाद था और एक बहन जिसका नाम होलिका था। ऐसा माना जाता है कि शैतान राजा के पास भगवान ब्रह्मा का आशीर्वाद था। इस आशीर्वाद का मतलब कोई भी आदमी, जानवर या हथियार उसे नहीं मार सकता था। यह आशीर्वाद उसके लिए अभिशाप बन गया और उसने अपने पुत्र को नहीं बख्शा क्योंकि वह बहुत घमंडी हो गया था। उसने अपने राज्य को भगवान के बजाय उसकी पूजा करने का आदेश दिया।
इसके बाद, सभी लोग हिरण्यकश्यप की पूजा करने लगे, लेकिन प्रह्लाद ने अपने पिता की पूजा करने से इनकार कर दिया क्योंकि प्रह्लाद भगवान विष्णु सच्चे भक्त थे। शैतान राजा हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र की अवज्ञा को देखकर ने अपनी बहन के साथ प्रह्लाद को मारने की योजना बनाई। उसने होलिका की गोद में अपने बेटे प्रह्लाद को आग में बैठाया, जहां होलिका जल गई और भगवान विष्णु के आशीवार्द से प्रह्लाद सुरक्षित निकल आए। तब से लोगों ने बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होली मनाना शुरू कर दिया।
होली के मुख्य बिंदु
1. होली का त्यौहार (Holi Festival) समाज में चल रही कुरीतियों को समाप्त करने का पर्व है।
2. होली प्रेम और भाई-चारे का प्रतिक है। इस दिन एक दूसरे को रंग लगाकर हीनभावना को समाप्त किया जाता है।
3. होली पर प्रेमी-प्रेमिका के अलावा पिता पुत्र, भाई बहन, देवर भाभी, सभी लोग अपने रिश्तों को मजबूत करने के लिए रंग लगाते हैं।
4. भक्त प्रहलाद ने भी भगवान विष्णु जी को रंग लगाकर अपनी भक्ति को पहले से ज्यादा मजबूत किया और सभी में प्रेम का सन्देश दिया।
5 होली पर हमें संकल्प करना चाहिए कि हम कोई गलत कार्य ना करें, सभी लगो प्रेम भाव से एक-दूसरे के साथ मिल-जुलकर रहें।