परिश्रम के बिना कोई भी कार्य संभव नहीं है, यदि मनुष्य कोई कार्य कठोर परिश्रम एवं दृढ़ इच्छा से करता है, तो उसे उस काम में सफलता जरूर मिलती है। संसार में किसी भी वस्तु का निर्माण परिश्रम के बिना संभव नहीं है। परिश्रमी व्यक्ति को दूसरे पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं होती। वह अपना कार्य स्वयं करने में माहिर होते हैं।
मनुष्य परिश्रम के द्वारा कठिन से कठिन कार्य सिद्ध कर सकता है। परिश्रम अर्थात मेहनत के ही द्वारा मनुष्य अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकता है। कोई भी कार्य केवल हमारी इक्षा मात्र से ही नहीं सिद्ध होता है, उसके लिये हमें कठिन परिश्रम का सहारा लेना पड़ता है। परिश्रम के ही बल पर मनुष्य अपना भाग्य बना सकता है।
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परिश्रम के बिना कोई भी कार्य संभव नहीं है, यदि मनुष्य कोई कार्य कठोर परिश्रम एवं दृढ़ इच्छा से करता है, तो उसे उस काम में सफलता जरूर मिलती है। संसार में किसी भी वस्तु का निर्माण परिश्रम के बिना संभव नहीं है। परिश्रमी व्यक्ति को दूसरे पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं होती। वह अपना कार्य स्वयं करने में माहिर होते हैं।
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मनुष्य परिश्रम के द्वारा कठिन से कठिन कार्य सिद्ध कर सकता है। परिश्रम अर्थात मेहनत के ही द्वारा मनुष्य अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकता है। कोई भी कार्य केवल हमारी इक्षा मात्र से ही नहीं सिद्ध होता है, उसके लिये हमें कठिन परिश्रम का सहारा लेना पड़ता है। परिश्रम के ही बल पर मनुष्य अपना भाग्य बना सकता है।
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