हालांकि मैंने अभी तक बहुत से कवियों की रचनाओं का अध्ययन नहीं किया हैं, मगर मध्यकालीन युग के कबीर, मीरा, रहीम, सूरदास और संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास जी को ही पढ़ा हैं.
इन काव्यकारो की रचनाओं में मानुष को अलौकिकता का रसास्वादन मिलता हैं. इन सभी में से तुलसीदास जी मेरे प्रिय कवि हैं, उनकी भक्ति और अलौकिकता को मैं नित नमन करता हूँ.
भक्ति भाव के साथ समन्वयात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए अपने काव्य सौष्ठव से हिन्दू समाज को संगठित कर विषम हालातों में विदेशी आक्रान्तों के आतंक के मध्य राम भक्ति के द्वारा संस्कृति को नवजीवन प्रदान कर एक सच्चे मार्गदर्शक संत की भूमिका का निर्वहन किया.
चारो तरफ आंतक और भय का माहौल था. जबरदस्ती से धर्म परिवर्तन और संस्कृति का नाश चरम स्तर पर जारी था. मुगलों द्वारा जबरदस्ती से तलवार के बल पर हिन्दुओं के धर्म का नाश किया गया.
उसी दौर में अलग अलग छोटे छोटे सम्प्रदायों ने जन्म लेना शुरू कर दिया था. आम जनमानस को एकजुट करने की बजाय उन्हें मत मतान्तर में विभाजित कर दिया. उस समय राह भ्रमित हिन्दू समाज को एक नाविक की सख्त जरूरत थी, जो उनके जीवन को अन्धकार से आस की किरण दिखाए.
मेरे प्रिय कवि तुलसीदास जी ने राम का कल्याणकारी रूप प्रस्तुत कर जन जीवन में एक शक्ति का संचार किया. उनके द्वारा रचित रामचरितमानस आज भी समाज को एकमत रखने और समन्वय स्थापित करने की प्रेरणा दे रहा हैं.
Answers & Comments
Verified answer
Answer:
हालांकि मैंने अभी तक बहुत से कवियों की रचनाओं का अध्ययन नहीं किया हैं, मगर मध्यकालीन युग के कबीर, मीरा, रहीम, सूरदास और संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास जी को ही पढ़ा हैं.
इन काव्यकारो की रचनाओं में मानुष को अलौकिकता का रसास्वादन मिलता हैं. इन सभी में से तुलसीदास जी मेरे प्रिय कवि हैं, उनकी भक्ति और अलौकिकता को मैं नित नमन करता हूँ.
भक्ति भाव के साथ समन्वयात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए अपने काव्य सौष्ठव से हिन्दू समाज को संगठित कर विषम हालातों में विदेशी आक्रान्तों के आतंक के मध्य राम भक्ति के द्वारा संस्कृति को नवजीवन प्रदान कर एक सच्चे मार्गदर्शक संत की भूमिका का निर्वहन किया.
चारो तरफ आंतक और भय का माहौल था. जबरदस्ती से धर्म परिवर्तन और संस्कृति का नाश चरम स्तर पर जारी था. मुगलों द्वारा जबरदस्ती से तलवार के बल पर हिन्दुओं के धर्म का नाश किया गया.
उसी दौर में अलग अलग छोटे छोटे सम्प्रदायों ने जन्म लेना शुरू कर दिया था. आम जनमानस को एकजुट करने की बजाय उन्हें मत मतान्तर में विभाजित कर दिया. उस समय राह भ्रमित हिन्दू समाज को एक नाविक की सख्त जरूरत थी, जो उनके जीवन को अन्धकार से आस की किरण दिखाए.
मेरे प्रिय कवि तुलसीदास जी ने राम का कल्याणकारी रूप प्रस्तुत कर जन जीवन में एक शक्ति का संचार किया. उनके द्वारा रचित रामचरितमानस आज भी समाज को एकमत रखने और समन्वय स्थापित करने की प्रेरणा दे रहा हैं.