देश की सीमाओं पर जब कोई खतरा मंडराता है तो सब धर्म जाति भूल कर एकजुट हो सेना का साथ नहीं देते। अगर यह सब करते हैं तो क्यों न एकता के बंधन में बंद कर हम अपने राष्ट्र को उन्नति और शांति के नए शिखर पर ले चलें। यह एकता तभी संभव होगी जब हम सब भेदों को भुला संगठित हो राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देंगे।
देश की सीमाओं पर जब कोई खतरा मंडराता है तो सब धर्म जाति भूल कर एकजुट हो सेना का साथ नहीं देते। अगर यह सब करते हैं तो क्यों न एकता के बंधन में बंद कर हम अपने राष्ट्र को उन्नति और शांति के नए शिखर पर ले चलें । यह एकता तभी संभव होगी जब हम सब भेदों को भुला संगठित हो राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देंगे।
Answers & Comments
Answer:
देश की सीमाओं पर जब कोई खतरा मंडराता है तो सब धर्म जाति भूल कर एकजुट हो सेना का साथ नहीं देते। अगर यह सब करते हैं तो क्यों न एकता के बंधन में बंद कर हम अपने राष्ट्र को उन्नति और शांति के नए शिखर पर ले चलें। यह एकता तभी संभव होगी जब हम सब भेदों को भुला संगठित हो राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देंगे।
Answer:
देश की सीमाओं पर जब कोई खतरा मंडराता है तो सब धर्म जाति भूल कर एकजुट हो सेना का साथ नहीं देते। अगर यह सब करते हैं तो क्यों न एकता के बंधन में बंद कर हम अपने राष्ट्र को उन्नति और शांति के नए शिखर पर ले चलें । यह एकता तभी संभव होगी जब हम सब भेदों को भुला संगठित हो राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देंगे।
Explanation:
Mark me as brainlist please