पुस्तके हमारी सच्ची मित्र होती हैं। वे हमारे जीवन के निरंतर संगी होती हैं और हमें नए और अनजाने विश्वों में ले जाती हैं। पुस्तकों की पृष्ठों पर छिपे संकेत बिन्दु हमें नई दृष्टि प्रदान करते हैं। वे हमें सोचने पर मजबूर करते हैं, अविश्वसनीय विचारों को समझाते हैं और हमारे आत्मविश्वास को मजबूत करते हैं। ये सच्ची मित्र हमें हंसती हैं, रुलाती हैं, और सिखाती हैं। उनके साथ जीवन का एक अद्वितीय सफर होता है। हमारी सच्ची मित्र पुस्तकों के संकेत बिन्दु हमेशा हमारे साथ होते हैं, हमें रोशनी की ओर ले जाते हैं और हमारे मन को आनंदित करते हैं। इसलिए, पुस्तकें हमारे सच्चे मित्र हैं जो हमें नए विश्वों की यात्रा पर ले जाती हैं।
Explanation:
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पुस्तके हमारी सच्ची मित्र होती है। एक बार आपका कोई दोस्त आपका साथ छोड़ सकता है, पर पुस्तके कभी हमारा साथ नहीँ छोड़ती। दुख में सुख में हंसी खुशी सभी मे पुस्तके एक सच्ची मित्र बनकर हमारा साथ निभाती है।
पुस्तकें ज्ञान प्रदान करती है, हमेशा अच्छी बातें ही सिखाती है। पुस्तकें हमारा मार्गदर्शन करती है। जब भी हम हमारा रास्ता भटकते है, तो ये हमें रास्ता दिखाती है। पुराने मंदिर, पुराना इतिहास सभी नष्ट हो जाता है पर पुस्तकें हमेशा जीवित रहती है।
पुस्तके हमारे जीवन मे बहुत महत्व रखती है। ये हमें एक अच्छा इंसान तो बनाती है, साथ ही अच्छे सँस्कार भी प्रदान करती है। हम इसी के ज्ञान से अच्छे बुरे की पहचान करना जानते है। इसलिए तो पुस्तके हमारी सच्ची मित्र होती है।
पुस्तकों का रूप
सृष्टि के आदिकाल से ही पुस्तकों का रूप बड़ी – बड़ी शिलाओं के ऊपर चित्रों तथा तस्वीरों के रूप में देखा जाता था। उन पुस्तको का रूप आज भी शिलाओं पर या कन्दराओं में देखा जा सकता है।
उसके बाद फिर शुरुआत हुई ताड़पत्र और भोज पत्रों की, जिसे आप अजायबघर (Museum) में देख सकते है। उसके कुछ समय पश्चात कागजो का आविष्कार हुआ ओर ऐसा माना जाता है की इस कागज का सर्वप्रथम प्रारम्भ चीन में हुआ।
पुस्तकों में ज्ञान का संचार लेखक, कवि, इतिहासकार, कहानीकार, उपन्यासकार, नाटककार, निबंधकार तथा एकांकी लेखक कोई भी कर सकता है। वो लेखक अपने विचार तथा भावों को लेखनी द्वारा कागज पर लिपिबद्ध करता है।
वही लेखनी पांडुलिपि कहि जाती है और उन पांडुलिपि रूप को कम्पोजिटर के हाथों में दे दिया जाता है, जो इन पुस्तकों को टाइपो के रूप में बांध देते है। इसके बाद जो रूप हमारे पास उभर कर आता है, उसे कहते है पुस्तक।
लेकिन उन पुस्तको में जो शब्द और जो विचार होते है, वो अगर हमारे मन को लुभाते है, तो समझिए आपके चरित्र और जीवन पर एक सकारात्मक असर छोड़ जाते है।
पुस्तके हमारे सच्चे मित्र
किताबो पर दुनिया के अनेक महान लोंगो ने अपने – अपने विचार प्रकट करें है। जिनमे से कुछ अनमोल कथन ये दर्शाते है कि मानव का जीवन और उसकी प्रत्येक प्रगति में किताबो की अहम भूमिका होती है।
किताबे ना केवल सूचना और ज्ञान का भंडार है, बल्कि हमारे चिंतन और मानसिक विस्तार में तथा हमे एक सभ्य ओर संस्कारी मनुष्य बनाने में एक बहुत बड़ा योगदान प्रदान करते है।वैसे कई महान लोगो ने पुस्तक पर अपने बहुत ही अच्छे विचार प्रकट करे है। जिनमे से कुछ के विचार इस प्रकार है।
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पुस्तके हमारी सच्ची मित्र होती हैं। वे हमारे जीवन के निरंतर संगी होती हैं और हमें नए और अनजाने विश्वों में ले जाती हैं। पुस्तकों की पृष्ठों पर छिपे संकेत बिन्दु हमें नई दृष्टि प्रदान करते हैं। वे हमें सोचने पर मजबूर करते हैं, अविश्वसनीय विचारों को समझाते हैं और हमारे आत्मविश्वास को मजबूत करते हैं। ये सच्ची मित्र हमें हंसती हैं, रुलाती हैं, और सिखाती हैं। उनके साथ जीवन का एक अद्वितीय सफर होता है। हमारी सच्ची मित्र पुस्तकों के संकेत बिन्दु हमेशा हमारे साथ होते हैं, हमें रोशनी की ओर ले जाते हैं और हमारे मन को आनंदित करते हैं। इसलिए, पुस्तकें हमारे सच्चे मित्र हैं जो हमें नए विश्वों की यात्रा पर ले जाती हैं।
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प्रस्तावना
पुस्तके हमारी सच्ची मित्र होती है। एक बार आपका कोई दोस्त आपका साथ छोड़ सकता है, पर पुस्तके कभी हमारा साथ नहीँ छोड़ती। दुख में सुख में हंसी खुशी सभी मे पुस्तके एक सच्ची मित्र बनकर हमारा साथ निभाती है।
पुस्तकें ज्ञान प्रदान करती है, हमेशा अच्छी बातें ही सिखाती है। पुस्तकें हमारा मार्गदर्शन करती है। जब भी हम हमारा रास्ता भटकते है, तो ये हमें रास्ता दिखाती है। पुराने मंदिर, पुराना इतिहास सभी नष्ट हो जाता है पर पुस्तकें हमेशा जीवित रहती है।
पुस्तके हमारे जीवन मे बहुत महत्व रखती है। ये हमें एक अच्छा इंसान तो बनाती है, साथ ही अच्छे सँस्कार भी प्रदान करती है। हम इसी के ज्ञान से अच्छे बुरे की पहचान करना जानते है। इसलिए तो पुस्तके हमारी सच्ची मित्र होती है।
पुस्तकों का रूप
सृष्टि के आदिकाल से ही पुस्तकों का रूप बड़ी – बड़ी शिलाओं के ऊपर चित्रों तथा तस्वीरों के रूप में देखा जाता था। उन पुस्तको का रूप आज भी शिलाओं पर या कन्दराओं में देखा जा सकता है।
उसके बाद फिर शुरुआत हुई ताड़पत्र और भोज पत्रों की, जिसे आप अजायबघर (Museum) में देख सकते है। उसके कुछ समय पश्चात कागजो का आविष्कार हुआ ओर ऐसा माना जाता है की इस कागज का सर्वप्रथम प्रारम्भ चीन में हुआ।
पुस्तकों में ज्ञान का संचार लेखक, कवि, इतिहासकार, कहानीकार, उपन्यासकार, नाटककार, निबंधकार तथा एकांकी लेखक कोई भी कर सकता है। वो लेखक अपने विचार तथा भावों को लेखनी द्वारा कागज पर लिपिबद्ध करता है।
वही लेखनी पांडुलिपि कहि जाती है और उन पांडुलिपि रूप को कम्पोजिटर के हाथों में दे दिया जाता है, जो इन पुस्तकों को टाइपो के रूप में बांध देते है। इसके बाद जो रूप हमारे पास उभर कर आता है, उसे कहते है पुस्तक।
लेकिन उन पुस्तको में जो शब्द और जो विचार होते है, वो अगर हमारे मन को लुभाते है, तो समझिए आपके चरित्र और जीवन पर एक सकारात्मक असर छोड़ जाते है।
पुस्तके हमारे सच्चे मित्र
किताबो पर दुनिया के अनेक महान लोंगो ने अपने – अपने विचार प्रकट करें है। जिनमे से कुछ अनमोल कथन ये दर्शाते है कि मानव का जीवन और उसकी प्रत्येक प्रगति में किताबो की अहम भूमिका होती है।
किताबे ना केवल सूचना और ज्ञान का भंडार है, बल्कि हमारे चिंतन और मानसिक विस्तार में तथा हमे एक सभ्य ओर संस्कारी मनुष्य बनाने में एक बहुत बड़ा योगदान प्रदान करते है।वैसे कई महान लोगो ने पुस्तक पर अपने बहुत ही अच्छे विचार प्रकट करे है। जिनमे से कुछ के विचार इस प्रकार है।