Physics is the natural science that studies matter,[a] its fundamental constituents, its motion and behavior through space and time, and the related entities of energy and force.[2] Physics is one of the most fundamental scientific disciplines, with its main goal being to understand how the universe behaves.[b][3][4][5]
Various examples of physical phenomena
Physics is one of the oldest academic disciplines and, through its inclusion of astronomy, perhaps the oldest.[6] Over much of the past two millennia, physics, chemistry, biology, and certain branches of mathematics were a part of natural philosophy, but during the Scientific Revolution in the 17th century these natural sciences emerged as unique research endeavors in their own right.[c] Physics intersects with many interdisciplinary areas of research, such as biophysics and quantum chemistry, and the boundaries of physics are not rigidly defined. New ideas in physics often explain the fundamental mechanisms studied by other sciences[3] and suggest new avenues of research in these and other academic disciplines such as mathematics and philosophy.
Advances in physics often enable advances in new technologies. For example, advances in the understanding of electromagnetism, solid-state physics, and nuclear physics led directly to the development of new products that have dramatically transformed modern-day society, such as television, computers, domestic appliances, and nuclear weapons;[3] advances in thermodynamics led to the development of industrialization; and advances in mechanics inspired the development of calculus.Food is needed by all organisms for many purposes:
a. The main function of food is to help in growth.
b. Food provides energy for movements such as running, walking or raising our arm.
c. Food is also needed for replacement and repairing damaged tissues of the body.
d. Food helps us fight against diseases and protects us from infections.
पूछा, " मृत्यु लोक में कौन है पुण्य श्लोकभक्त तुम्हारा प्रधान ? विष्णु ने कहा, " एक सज्जन किसान है
प्राणों से प्रियतम।"
"उसकी परीक्षा लूंगा, " हंसे विष्णु जी सुनकर यह,
कहा कि, " ले सकते हो।" नारद जी चल दिए
पहुंचे भक्त के यहां
देखा, हल जोतकर आया वह दोपहर को,
दरवाज़ें पहुंचकर राम जी का नाम लिया, स्नान भोजन करके फिर चला गया काम पर।
शाम को आया दरवाजे फिर नाम लिया,
प्रातः काल चलते समय
एक बार फिर उसने मधुर नाम स्मरण किया।
" बस केवल तीन बार"? नारद जी चकरा गए --
किन्तु भगवान को किसान ही यह याद आया ?
गये विष्णु लोक बोले भगवान से " देखा किसान को
दिन भर में तीन बार नाम उसने लिया है।"
बोले विष्णु, "नारद जी,
आवश्यक दूसरा
एक काम आया है तुम्हें छोड़कर कोई और नहीं कर सकता।
साधारण विषय यह।
बाद को विवाद होगा, तब तक यह आवश्यक कार्य पूरा कीजिए
तैल पूर्ण पात्र यह लेकर प्रदक्षिणा कर आइए भूमंडल की
ध्यान रहे सविशेष
एक बूंद भी इससे तेल न गिरने पाए ।"
लेकर नारद जी आज्ञा पर घृत लक्ष्य
एक बूंद तेल उस पात्र से गिरे नहीं।
योगिराज जल्द ही विश्व - पर्यटन करके लौटे बैकुंठ को
तेल एक बूंद भी उस पात्र से गिरा नहीं।
उल्लास मन से भरा था
यह सोच कर तेल का रहस्य एक
अवगत होगा नया।
नारद को देखकर विष्णु भगवान ने बैठाया स्नेह से
कहा, " यह उत्तर तुम्हारा यहीं आ गया
बतलाओ, पात्र लेकर जाते समय कितनी बार
नाम इष्ट का लिया ? "
" एक बार भी नहीं"
शंकित हृदय से कहा नारद ने विष्णु से
" काम तुम्हारा ही था
ध्यान उसी से लगा रहा
नाम फिर क्या लेता और?"
विष्णु ने कहा, " नारद उस किसान का भी काम मेरा दिया हुआ है।
उत्तरदायित्व कई लादे है एक साथ
सबको निभाता और
काम करता हुआ
नाम भी वह लेता है
इसी से है प्रियतम।"
नारद लज्जित हुए।
कहा, "यह सत्य है ।"
कर्म ही पूजा है" इसी भाव को व्यक्त करने के लिए कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने इस कविता की रचना की है। निराला जी एक क्रांतिकारी कवि थे। वे कर्म को ही ईश्वर की पूजा मानते थे। वे कहते कर्मवीर ही इस संसार का सच्चा प्राणी है।
इस कविता का भाव पौराणिक कथा पर आधारित है। नारद जी को मोह हो जाता है। होता है, मोह किसे छोड़ा है। उन्हें लगा कि वही भगवान विष्णु के सबसे प्रिय भक्त हैं। बस यही बात श्री विष्णु जी के मुख से सुनने के लिए विष्णु लोक जा पहुंचे। लेकिन पूछने पर विष्णु जी ने अपना सबसे प्रिय भक्त किसान को बताया। नारद जी आश्चर्य में पड़ गये। कहां, अच्छा तो मैं उसे जाकर देखूंगा। विष्णु ने कहा, जाओ, देख लो।
नारद जी किसान की निगरानी में लग गए। उन्होंने देखा कि किसान तो दिनभर में मात्र तीन बार ही भगवान का नाम लिया। बस, उन्हें अवसर मिल गया अपनी श्रेष्ठता साबित करने का। दौड़े चले आए विष्णु लोक। भगवान तो अंतर्यामी है। वे सब कुछ समझ गये। नारद के आते ही एक काम और दे दिया। कहा कि यह घृत भरा पात्र पूरे ब्रह्मांड में घुमा दो , लेकिन ध्यान रहे, एक बूंद भी घी गिरने न पाए। नारद जी ने वैसा ही किया। बड़े ध्यान से घृत पात्र पूरे ब्रह्मांड में घूमा लाए। तब विष्णु जी ने पूछा अब बताओ कितने बार नाम लिया मेरा। नारद जी ने कहा, काम तो आप का ही कर रहा था। फिर नाम तो बिल्कुल नहीं लिया। विष्णु ने कहा, किसान को भी मैंने ही काम दिया है। फिर भी वह तीन बार नाम लिया।अब तुम ही बताओ, कौन श्रेष्ठ ? नारद जी लज्जित हो गये। यही है कर्म का महत्व।
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Physics is the natural science that studies matter,[a] its fundamental constituents, its motion and behavior through space and time, and the related entities of energy and force.[2] Physics is one of the most fundamental scientific disciplines, with its main goal being to understand how the universe behaves.[b][3][4][5]
Various examples of physical phenomena
Physics is one of the oldest academic disciplines and, through its inclusion of astronomy, perhaps the oldest.[6] Over much of the past two millennia, physics, chemistry, biology, and certain branches of mathematics were a part of natural philosophy, but during the Scientific Revolution in the 17th century these natural sciences emerged as unique research endeavors in their own right.[c] Physics intersects with many interdisciplinary areas of research, such as biophysics and quantum chemistry, and the boundaries of physics are not rigidly defined. New ideas in physics often explain the fundamental mechanisms studied by other sciences[3] and suggest new avenues of research in these and other academic disciplines such as mathematics and philosophy.
Advances in physics often enable advances in new technologies. For example, advances in the understanding of electromagnetism, solid-state physics, and nuclear physics led directly to the development of new products that have dramatically transformed modern-day society, such as television, computers, domestic appliances, and nuclear weapons;[3] advances in thermodynamics led to the development of industrialization; and advances in mechanics inspired the development of calculus.Food is needed by all organisms for many purposes:
a. The main function of food is to help in growth.
b. Food provides energy for movements such as running, walking or raising our arm.
c. Food is also needed for replacement and repairing damaged tissues of the body.
d. Food helps us fight against diseases and protects us from infections.
Answer:
एक दिन विष्णु जी के पास गए नारद जी,
पूछा, " मृत्यु लोक में कौन है पुण्य श्लोकभक्त तुम्हारा प्रधान ? विष्णु ने कहा, " एक सज्जन किसान है
प्राणों से प्रियतम।"
"उसकी परीक्षा लूंगा, " हंसे विष्णु जी सुनकर यह,
कहा कि, " ले सकते हो।" नारद जी चल दिए
पहुंचे भक्त के यहां
देखा, हल जोतकर आया वह दोपहर को,
दरवाज़ें पहुंचकर राम जी का नाम लिया, स्नान भोजन करके फिर चला गया काम पर।
शाम को आया दरवाजे फिर नाम लिया,
प्रातः काल चलते समय
एक बार फिर उसने मधुर नाम स्मरण किया।
" बस केवल तीन बार"? नारद जी चकरा गए --
किन्तु भगवान को किसान ही यह याद आया ?
गये विष्णु लोक बोले भगवान से " देखा किसान को
दिन भर में तीन बार नाम उसने लिया है।"
बोले विष्णु, "नारद जी,
आवश्यक दूसरा
एक काम आया है तुम्हें छोड़कर कोई और नहीं कर सकता।
साधारण विषय यह।
बाद को विवाद होगा, तब तक यह आवश्यक कार्य पूरा कीजिए
तैल पूर्ण पात्र यह लेकर प्रदक्षिणा कर आइए भूमंडल की
ध्यान रहे सविशेष
एक बूंद भी इससे तेल न गिरने पाए ।"
लेकर नारद जी आज्ञा पर घृत लक्ष्य
एक बूंद तेल उस पात्र से गिरे नहीं।
योगिराज जल्द ही विश्व - पर्यटन करके लौटे बैकुंठ को
तेल एक बूंद भी उस पात्र से गिरा नहीं।
उल्लास मन से भरा था
यह सोच कर तेल का रहस्य एक
अवगत होगा नया।
नारद को देखकर विष्णु भगवान ने बैठाया स्नेह से
कहा, " यह उत्तर तुम्हारा यहीं आ गया
बतलाओ, पात्र लेकर जाते समय कितनी बार
नाम इष्ट का लिया ? "
" एक बार भी नहीं"
शंकित हृदय से कहा नारद ने विष्णु से
" काम तुम्हारा ही था
ध्यान उसी से लगा रहा
नाम फिर क्या लेता और?"
विष्णु ने कहा, " नारद उस किसान का भी काम मेरा दिया हुआ है।
उत्तरदायित्व कई लादे है एक साथ
सबको निभाता और
काम करता हुआ
नाम भी वह लेता है
इसी से है प्रियतम।"
नारद लज्जित हुए।
कहा, "यह सत्य है ।"
कर्म ही पूजा है" इसी भाव को व्यक्त करने के लिए कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने इस कविता की रचना की है। निराला जी एक क्रांतिकारी कवि थे। वे कर्म को ही ईश्वर की पूजा मानते थे। वे कहते कर्मवीर ही इस संसार का सच्चा प्राणी है।
इस कविता का भाव पौराणिक कथा पर आधारित है। नारद जी को मोह हो जाता है। होता है, मोह किसे छोड़ा है। उन्हें लगा कि वही भगवान विष्णु के सबसे प्रिय भक्त हैं। बस यही बात श्री विष्णु जी के मुख से सुनने के लिए विष्णु लोक जा पहुंचे। लेकिन पूछने पर विष्णु जी ने अपना सबसे प्रिय भक्त किसान को बताया। नारद जी आश्चर्य में पड़ गये। कहां, अच्छा तो मैं उसे जाकर देखूंगा। विष्णु ने कहा, जाओ, देख लो।
नारद जी किसान की निगरानी में लग गए। उन्होंने देखा कि किसान तो दिनभर में मात्र तीन बार ही भगवान का नाम लिया। बस, उन्हें अवसर मिल गया अपनी श्रेष्ठता साबित करने का। दौड़े चले आए विष्णु लोक। भगवान तो अंतर्यामी है। वे सब कुछ समझ गये। नारद के आते ही एक काम और दे दिया। कहा कि यह घृत भरा पात्र पूरे ब्रह्मांड में घुमा दो , लेकिन ध्यान रहे, एक बूंद भी घी गिरने न पाए। नारद जी ने वैसा ही किया। बड़े ध्यान से घृत पात्र पूरे ब्रह्मांड में घूमा लाए। तब विष्णु जी ने पूछा अब बताओ कितने बार नाम लिया मेरा। नारद जी ने कहा, काम तो आप का ही कर रहा था। फिर नाम तो बिल्कुल नहीं लिया। विष्णु ने कहा, किसान को भी मैंने ही काम दिया है। फिर भी वह तीन बार नाम लिया।अब तुम ही बताओ, कौन श्रेष्ठ ? नारद जी लज्जित हो गये। यही है कर्म का महत्व।