Answer:
सुनो, प्रकृति की आकुल पुकार,
कहती है यह, वृक्ष मत काटो।
छलनी हो रहा शरीर हमारा,
अब तो हमारा क्रंदन सुन लो।
धरा भी क्षण-क्षण कह रही,
वृक्ष प्राणों का है आधार।
बंजर से इस सूने तन पर,
वृक्ष धरती का है श्रृंगार ।
मत चलाओ शस्त्र वृक्ष पर,
मानो यह ईश्वर का अनुदान है।
इन पेड़ों से भूजल स्तर भी बढ़ेगा,
समस्त जीवन हेतु ये वरदान है।
I'm sorry if is wrong as I'm mot good at Hindi
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सुनो, प्रकृति की आकुल पुकार,
कहती है यह, वृक्ष मत काटो।
छलनी हो रहा शरीर हमारा,
अब तो हमारा क्रंदन सुन लो।
धरा भी क्षण-क्षण कह रही,
वृक्ष प्राणों का है आधार।
बंजर से इस सूने तन पर,
वृक्ष धरती का है श्रृंगार ।
मत चलाओ शस्त्र वृक्ष पर,
मानो यह ईश्वर का अनुदान है।
इन पेड़ों से भूजल स्तर भी बढ़ेगा,
समस्त जीवन हेतु ये वरदान है।
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