भारतीय संविधान की धारा 343 (1) में हिन्दी को संघ की राजभाषा और लिपि देवनागरी लिपि का दर्जा प्राप्त है। हिन्दी का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना है। हिंदी हिंदुस्तान की राष्ट्रभाषा ही नहीं बल्कि हिंदुस्तानियों की पहचान भी है। हमें अपनी मातृभाषा हिंदी को कभी नहीं भूलना चाहिए।भारतीय संविधान की धारा 343 (1) में हिन्दी को संघ की राजभाषा और लिपि देवनागरी लिपि का दर्जा प्राप्त है। हिन्दी का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना है। हिंदी हिंदुस्तान की राष्ट्रभाषा ही नहीं बल्कि हिंदुस्तानियों की पहचान भी है। हमें अपनी मातृभाषा हिंदी को कभी नहीं भूलना चाहिए।भारतीय संविधान की धारा 343 (1) में हिन्दी को संघ की राजभाषा और लिपि देवनागरी लिपि का दर्जा प्राप्त है। हिन्दी का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना है। हिंदी हिंदुस्तान की राष्ट्रभाषा ही नहीं बल्कि हिंदुस्तानियों की पहचान भी है। हमें अपनी मातृभाषा हिंदी को कभी नहीं भूलना चाहिए।भारतीय संविधान की धारा 343 (1) में हिन्दी को संघ की राजभाषा और लिपि देवनागरी लिपि का दर्जा प्राप्त है। हिन्दी का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना है। हिंदी हिंदुस्तान की राष्ट्रभाषा ही नहीं बल्कि हिंदुस्तानियों की पहचान भी है। हमें अपनी मातृभाषा हिंदी को कभी नहीं भूलना चाहिए।भारतीय संविधान की धारा 343 (1) में हिन्दी को संघ की राजभाषा और लिपि देवनागरी लिपि का दर्जा प्राप्त है। हिन्दी का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना है। हिंदी हिंदुस्तान की राष्ट्रभाषा ही नहीं बल्कि हिंदुस्तानियों की पहचान भी है। हमें अपनी मातृभाषा हिंदी को कभी नहीं भूलना चाहिए।
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