प्रकृति के सामने सब सामान होते है , मनुष्य हो या जानवर , कोई चाहे कितना भी ताकतवर हो जाए , मनुष्य कितनी भी प्रगति कर ले, उसे प्रकृति के सामने घुटने टेकने ही पड़ते है ।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण है प्रकीतिक आपदा
,
यह चित्र भी उसी का एक झलक है , जिसमे एक पीड़ित किसी तरह अपने जीवन की रक्षा के लिए संघर्षशील है , यह मानवता की एक झलक भी है की उसने कठिन समय में भी उसने उस जानवर का साथ नहीं छोड़ा
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प्रकृति के सामने सब सामान होते है , मनुष्य हो या जानवर , कोई चाहे कितना भी ताकतवर हो जाए , मनुष्य कितनी भी प्रगति कर ले, उसे प्रकृति के सामने घुटने टेकने ही पड़ते है ।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण है प्रकीतिक आपदा
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यह चित्र भी उसी का एक झलक है , जिसमे एक पीड़ित किसी तरह अपने जीवन की रक्षा के लिए संघर्षशील है , यह मानवता की एक झलक भी है की उसने कठिन समय में भी उसने उस जानवर का साथ नहीं छोड़ा