नदी और पेड़ के बीच संवाद कुछ इस प्रकार है कि जो बहता रहता है हर वर्ग तथा वह अपनी परवाह किए बिना हर मुकाम पर हर स्थिति में बहता रहता है तथा जीवन में हर वह लक्ष्य को हासिल करता है जिसे उसे पाना है उसी प्रकार निस्वार्थ होकर फिर भी चलता रहता है हवा देता है निस्वार्थ सबको हवा देता है तथा फल अपने नहीं खा कर दूसरों को देता है यही कारण है कि दोनों एक दूसरे से तालुकात रखते हैं दोनों में बहुत बड़ा अमीर है एक दिन एक नदी बेतवा कहता है कि तुम मेरे किनारे पर ना होंगे तो मैं तुम्हें देता हूं तो चढ़ जाऊंगा तो इस बात पर कहता है कि सही है काश मैं किसी के काम तो आऊंगा नहीं तो के साथ अपने जीवन को हल चलाता रहता है।
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नदी और पेड़ के बीच संवाद कुछ इस प्रकार है कि जो बहता रहता है हर वर्ग तथा वह अपनी परवाह किए बिना हर मुकाम पर हर स्थिति में बहता रहता है तथा जीवन में हर वह लक्ष्य को हासिल करता है जिसे उसे पाना है उसी प्रकार निस्वार्थ होकर फिर भी चलता रहता है हवा देता है निस्वार्थ सबको हवा देता है तथा फल अपने नहीं खा कर दूसरों को देता है यही कारण है कि दोनों एक दूसरे से तालुकात रखते हैं दोनों में बहुत बड़ा अमीर है एक दिन एक नदी बेतवा कहता है कि तुम मेरे किनारे पर ना होंगे तो मैं तुम्हें देता हूं तो चढ़ जाऊंगा तो इस बात पर कहता है कि सही है काश मैं किसी के काम तो आऊंगा नहीं तो के साथ अपने जीवन को हल चलाता रहता है।