उपसर्गों की तरह ही प्रत्ययों का प्रयोग भी नए शब्दों की रचना के लिए किया जाता है। नए शब्दों की रचना करने के क्रम में कुछ शब्दांशों का शब्दों के पीछे या उनके अंत में जोड़ दिया जाता है। इससे मूलशब्द के अर्थ में बदलाव या विशेषता आ जाती है। ये शब्दांश प्रत्यय कहलाते हैं।
परिभाषा :
वे शब्दांश जो किसी शब्द के अंत में जुड़कर उसके अर्थ में विशेषता ला देते हैं या पूरी तरह बदलाव ला देते हैं, उन्हेंउपसर्गों की तरह ही प्रत्ययों का प्रयोग भी नए शब्दों की रचना के लिए किया जाता है। नए शब्दों की रचना करने के क्रम में कुछ शब्दांशों का शब्दों के पीछे या उनके अंत में जोड़ दिया जाता है। इससे मूलशब्द के अर्थ में बदलाव या विशेषता आ जाती है। ये शब्दांश प्रत्यय कहलाते हैं।
परिभाषा :
वे शब्दांश जो किसी शब्द के अंत में जुड़कर उसके अर्थ में विशेषता ला देते हैं या पूरी तरह बदलाव ला देते हैं, उन्हें
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उपसर्गों की तरह ही प्रत्ययों का प्रयोग भी नए शब्दों की रचना के लिए किया जाता है। नए शब्दों की रचना करने के क्रम में कुछ शब्दांशों का शब्दों के पीछे या उनके अंत में जोड़ दिया जाता है। इससे मूलशब्द के अर्थ में बदलाव या विशेषता आ जाती है। ये शब्दांश प्रत्यय कहलाते हैं।
परिभाषा :
वे शब्दांश जो किसी शब्द के अंत में जुड़कर उसके अर्थ में विशेषता ला देते हैं या पूरी तरह बदलाव ला देते हैं, उन्हेंउपसर्गों की तरह ही प्रत्ययों का प्रयोग भी नए शब्दों की रचना के लिए किया जाता है। नए शब्दों की रचना करने के क्रम में कुछ शब्दांशों का शब्दों के पीछे या उनके अंत में जोड़ दिया जाता है। इससे मूलशब्द के अर्थ में बदलाव या विशेषता आ जाती है। ये शब्दांश प्रत्यय कहलाते हैं।
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वे शब्दांश जो किसी शब्द के अंत में जुड़कर उसके अर्थ में विशेषता ला देते हैं या पूरी तरह बदलाव ला देते हैं, उन्हें
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1) चलाई
2) मारा
3) रही थी
4) लिया होगा