पथ की पहचानपूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।पुस्तकों में है नही छापी गई इसकी कहानीहाल इसका ज्ञात होता है न औरों की ज़बानीअनगिनत राही गए इस राह से उनका पता क्यापर गए कुछ लोग इस पर छोड पैरौं की निशानीयह निशानी मूक होकर भी बहुत कुछ बोलती हैखोल इसका अर्थ पंथी पंथ का अनुमान कर ले।पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।यह बुरा है या कि अच्छाव्यर्थ दिन इस पर बितानाअब असंभव छोड़ यह पथदूसरे पर पग बढ़ानातू इसे अच्छा समझयात्रा सरल इससे बनेगीसोंच मत केवल तुझे हीयह पड़ा मन में बिठानाहर सफल पंथी यहीविश्वास ले इस पर बढ़ा हैतू इसी पर आज अपनेचित का अवधान कर ले।पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान करले।है अनिश्चित किस जगह परसरित गिरि गहवर मिलेंगेंहै अनिश्चित किस जगह परबाग बन सुंदर मिलेंगे|कौन सहसा छूट जाएँगेमिलेंगे कौन सहसाआ पड़े कुछ भी रुकेगातू न ऐसी आन कर ले।पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।~हरिवंशराय बच्चन!
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पथ की पहचान
पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।
पुस्तकों में है नही
छापी गई इसकी कहानी
हाल इसका ज्ञात होता
है न औरों की ज़बानी
अनगिनत राही गए
इस राह से उनका पता क्या
पर गए कुछ लोग इस पर
छोड पैरौं की निशानी
यह निशानी मूक होकर
भी बहुत कुछ बोलती है
खोल इसका अर्थ पंथी
पंथ का अनुमान कर ले।
पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।
यह बुरा है या कि अच्छा
व्यर्थ दिन इस पर बिताना
अब असंभव छोड़ यह पथ
दूसरे पर पग बढ़ाना
तू इसे अच्छा समझ
यात्रा सरल इससे बनेगी
सोंच मत केवल तुझे ही
यह पड़ा मन में बिठाना
हर सफल पंथी यही
विश्वास ले इस पर बढ़ा है
तू इसी पर आज अपने
चित का अवधान कर ले।
पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान करले।
है अनिश्चित किस जगह पर
सरित गिरि गहवर मिलेंगें
है अनिश्चित किस जगह पर
बाग बन सुंदर मिलेंगे|
कौन सहसा छूट जाएँगे
मिलेंगे कौन सहसा
आ पड़े कुछ भी रुकेगा
तू न ऐसी आन कर ले।
पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।
~हरिवंशराय बच्चन
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पथ की पहचानपूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।पुस्तकों में है नही छापी गई इसकी कहानीहाल इसका ज्ञात होता है न औरों की ज़बानीअनगिनत राही गए इस राह से उनका पता क्यापर गए कुछ लोग इस पर छोड पैरौं की निशानीयह निशानी मूक होकर भी बहुत कुछ बोलती हैखोल इसका अर्थ पंथी पंथ का अनुमान कर ले।पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।यह बुरा है या कि अच्छाव्यर्थ दिन इस पर बितानाअब असंभव छोड़ यह पथदूसरे पर पग बढ़ानातू इसे अच्छा समझयात्रा सरल इससे बनेगीसोंच मत केवल तुझे हीयह पड़ा मन में बिठानाहर सफल पंथी यहीविश्वास ले इस पर बढ़ा हैतू इसी पर आज अपनेचित का अवधान कर ले।पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान करले।है अनिश्चित किस जगह परसरित गिरि गहवर मिलेंगेंहै अनिश्चित किस जगह परबाग बन सुंदर मिलेंगे|कौन सहसा छूट जाएँगेमिलेंगे कौन सहसाआ पड़े कुछ भी रुकेगातू न ऐसी आन कर ले।पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।~हरिवंशराय बच्चन!
Hii meri cutie Sadia kaise ho aap dear!