पारंपरिक समाज में रंगोली विभिन्न अवसरों पर सजाई जाती है। यह हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण पर्वों, उत्सवों, सामाजिक कार्यक्रमों, पूजा-अर्चना और समारोहों में सजाई जाती है।
कुछ प्रमुख अवसरों पर रंगोली सजाई जाती है:
1. दीपावली: दीपावली के मौके पर, घर के प्रमुख प्रवेश द्वार, मंडप, पूजा कक्ष, सुन्दरता के सम्राटि के रूप में, महिला सदस्यों द्वारा बनाए गए हुनरमंदनता के कक्ष में, हलके-सुल्तने मेहनत के स्त्रोति होती हैं। इसके लिए विभिन्न रंगों का प्रयोग किया जाता है और मुख्यतः रंगोली में दीपकों के साथ-साथ पुष्प, पत्तियाँ, सुन्दर मन्त्र, समरूपी प्रतीकों का प्रयोग किया जाता है।
2. व्रत: हिंदू महिलाएं व्रत के मौके पर भी रंगोली सजाती हैं, जैसे कि कर्वा चौथ, हरतालिका तीज, सहस्त्रलिंग पूजन, संक्रांति, महाशिवरात्रि, महालक्ष्मी पूजन, सरस्वती पूजन, सुपुर्णेश्वर महेश्वर पुन:प्रति-स्मरम्मेण (पुन:प्रति-स्मरण) आदि।
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Explanation:
पारंपरिक समाजों में रंगोली एक प्रकार की चित्रकला होती है जो अक्सर घर के प्रवेश द्वार, वरंदा, और पूजा स्थल के आस-पास बनाई जाती है। यह कला भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न नामों से जानी जाती है, जैसे "रंगोली" या "कोलम" (तमिलनाडु में)।
रंगोली बनाने का मुख्य उद्देश्य सौभाग्य, शुभता, और आनंद की सूचना देना होता है। यह एक सामाजिक क्रिया भी हो सकती है जो गांव की महिलाएं या परिवार की महिला सदस्यों द्वारा साथ में की जाती है।
रंगोली बनाने की प्रक्रिया आमतौर पर इस प्रकार होती है:
1. तैयारी की शुरुआत: पहले, साफ सफाई करके जगह को तैयार की जाती है, और एक सीधे आकार का चुनाव किया जाता है।
2. रंगोली के डिज़ाइन का चयन: अब, एक डिज़ाइन का चयन किया जाता है, जिसमें विभिन्न रंगों का उपयोग होता है। यह डिज़ाइन आमतौर पर गोल या रेखाओं का होता है और इसमें अच्छे संगत रंगों का चयन किया जाता है।
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Explanation:
पारंपरिक समाज में रंगोली विभिन्न अवसरों पर सजाई जाती है। यह हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण पर्वों, उत्सवों, सामाजिक कार्यक्रमों, पूजा-अर्चना और समारोहों में सजाई जाती है।
कुछ प्रमुख अवसरों पर रंगोली सजाई जाती है:
1. दीपावली: दीपावली के मौके पर, घर के प्रमुख प्रवेश द्वार, मंडप, पूजा कक्ष, सुन्दरता के सम्राटि के रूप में, महिला सदस्यों द्वारा बनाए गए हुनरमंदनता के कक्ष में, हलके-सुल्तने मेहनत के स्त्रोति होती हैं। इसके लिए विभिन्न रंगों का प्रयोग किया जाता है और मुख्यतः रंगोली में दीपकों के साथ-साथ पुष्प, पत्तियाँ, सुन्दर मन्त्र, समरूपी प्रतीकों का प्रयोग किया जाता है।
2. व्रत: हिंदू महिलाएं व्रत के मौके पर भी रंगोली सजाती हैं, जैसे कि कर्वा चौथ, हरतालिका तीज, सहस्त्रलिंग पूजन, संक्रांति, महाशिवरात्रि, महालक्ष्मी पूजन, सरस्वती पूजन, सुपुर्णेश्वर महेश्वर पुन:प्रति-स्मरम्मेण (पुन:प्रति-स्मरण) आदि।
3. सामाजिक कार्यक्रम:
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Explanation:
पारंपरिक समाजों में रंगोली एक प्रकार की चित्रकला होती है जो अक्सर घर के प्रवेश द्वार, वरंदा, और पूजा स्थल के आस-पास बनाई जाती है। यह कला भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न नामों से जानी जाती है, जैसे "रंगोली" या "कोलम" (तमिलनाडु में)।
रंगोली बनाने का मुख्य उद्देश्य सौभाग्य, शुभता, और आनंद की सूचना देना होता है। यह एक सामाजिक क्रिया भी हो सकती है जो गांव की महिलाएं या परिवार की महिला सदस्यों द्वारा साथ में की जाती है।
रंगोली बनाने की प्रक्रिया आमतौर पर इस प्रकार होती है:
1. तैयारी की शुरुआत: पहले, साफ सफाई करके जगह को तैयार की जाती है, और एक सीधे आकार का चुनाव किया जाता है।
2. रंगोली के डिज़ाइन का चयन: अब, एक डिज़ाइन का चयन किया जाता है, जिसमें विभिन्न रंगों का उपयोग होता है। यह डिज़ाइन आमतौर पर गोल या रेखाओं का होता है और इसमें अच्छे संगत रंगों का चयन किया जाता है।