इलाहाबाद की प्रथम सन्धि, राबर्ट क्लाइव तथा मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय के बीच में १२ अगस्त १७६५ में हुई थी। यह संधि बंगाल के इतिहास में एक युगान्तकारी घटना थी क्योंकि कालान्तर में इसने उन प्रशासकीय परिवर्तनों की पृष्ठभूमि तैयार कर दी जिससे ब्रिटिश प्रशासनिक व्यवस्था की आधारशिला रखी गयी। नवाब की सत्ता का अन्त हो गया और एक ऐसी व्यवस्था का जन्म हुआ जो शासन के उत्तरदायित्व से मुक्त थी।
इस संधि के माध्यम से ईस्ट इंडिया कम्पनी को भारत की राजनीतिक और संवैधानिक व्यवस्था में दखल देने का अधिकार मिल गया और यहीं से भारत में ब्रिटिश शासन की नींव पड़ी। शाह आलम ने इस संधि के द्वारा कम्पनी को पूर्वी प्रान्त बंगाल, बिहार और उड़ीसा में बादशाह की तरफ से कर एकत्र करने के अधिकार सौंप दिए थे। उसके बाद कम्पनी को अपने साम्राज्यवादी पंख फैलाने में अधिक समय नहीं लगा।
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इलाहाबाद की प्रथम सन्धि, राबर्ट क्लाइव तथा मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय के बीच में १२ अगस्त १७६५ में हुई थी। यह संधि बंगाल के इतिहास में एक युगान्तकारी घटना थी क्योंकि कालान्तर में इसने उन प्रशासकीय परिवर्तनों की पृष्ठभूमि तैयार कर दी जिससे ब्रिटिश प्रशासनिक व्यवस्था की आधारशिला रखी गयी। नवाब की सत्ता का अन्त हो गया और एक ऐसी व्यवस्था का जन्म हुआ जो शासन के उत्तरदायित्व से मुक्त थी।
इस संधि के माध्यम से ईस्ट इंडिया कम्पनी को भारत की राजनीतिक और संवैधानिक व्यवस्था में दखल देने का अधिकार मिल गया और यहीं से भारत में ब्रिटिश शासन की नींव पड़ी। शाह आलम ने इस संधि के द्वारा कम्पनी को पूर्वी प्रान्त बंगाल, बिहार और उड़ीसा में बादशाह की तरफ से कर एकत्र करने के अधिकार सौंप दिए थे। उसके बाद कम्पनी को अपने साम्राज्यवादी पंख फैलाने में अधिक समय नहीं लगा।