प्रस्तुत पंक्तियाँ जन-जन का चेहरा एक शीर्षक कविता से ली गई है जिसके रचयिता कवि गजानन माधव मुक्तिबोध है | कवि कहते है कि कोई व्यक्ति चाहे किसी भी देश या प्रांत का निवासी हो उन सबमें समानता पाई जाती है । कष्ट-दुख संतोप की चेहरों पर पड़ी हुई झुर्रियों का रूप एक ! जोश में यों ताकत से बंधी हुई मुट्ठियों का एक लक्ष्य !
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प्रस्तुत पंक्तियाँ जन-जन का चेहरा एक शीर्षक कविता से ली गई है जिसके रचयिता कवि गजानन माधव मुक्तिबोध है | कवि कहते है कि कोई व्यक्ति चाहे किसी भी देश या प्रांत का निवासी हो उन सबमें समानता पाई जाती है । कष्ट-दुख संतोप की चेहरों पर पड़ी हुई झुर्रियों का रूप एक ! जोश में यों ताकत से बंधी हुई मुट्ठियों का एक लक्ष्य !
Explanation:
Hii, my self Hari om and you?
And this is my snapchat I'd
om2006t