कबीरदास जी कहते हैं कि जिस तरह कस्तूरी हिरण के अंदर होती है और वह उसे जंगल में ढूंढता है उसी प्रकार मनुष्य के गुण और उसके भगवान उसके ह्रदय में होते हैं
जो मेहनत करके कुछ प्राप्त करने की कोशिश करता है वह सब कुछ पा लेता है उसी तरह जिस तरह कि एक तैराक गहरे पानी से भी मोती ले आता है और डूबने से डरने वाले किनारे ही बैठे रह जाते हैं
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कबीरदास जी कहते हैं कि जिस तरह कस्तूरी हिरण के अंदर होती है और वह उसे जंगल में ढूंढता है उसी प्रकार मनुष्य के गुण और उसके भगवान उसके ह्रदय में होते हैं
जो मेहनत करके कुछ प्राप्त करने की कोशिश करता है वह सब कुछ पा लेता है उसी तरह जिस तरह कि एक तैराक गहरे पानी से भी मोती ले आता है और डूबने से डरने वाले किनारे ही बैठे रह जाते हैं
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१)बुरा करने वालों का बुरा करो।
२) बुरा करने वालों का बुरा मत करो।
३)भला करने वालों का बुरा होता है ।
४) बुरा करने वालों का भला होता है ।