प्रकृति, व्यापकतम अर्थ में, प्राकृतिक, भौतिक या पदार्थिक जगत या ब्रह्माण्ड हैं। "प्रकृति" का सन्दर्भ भौतिक जगत के दृग्विषय से हो सकता हैं, और सामन्यतः जीवन से भी हो सकता हैं। प्रकृति का अध्ययन, विज्ञान के अध्ययन का बड़ा हिस्सा हैं। यद्यपि मानव प्रकृति का हिस्सा हैं, मानवी क्रिया को प्रायः अन्य प्राकृतिक दृग्विषय से अलग श्रेणी के रूप में समझा जाता हैं।
यदि और सरल शब्दों में प्रकृति की व्याख्या करनी हो तो हम कहेंगे कि वे सभी वस्तुएं जो जीवित हैं व बढ़ती हैं अर्थात इस व्याख्या में हम हमारे परिवेश में पाई जाने वाली वह सभी वस्तुएं शामिल करते हैं जो जीवित रहने तथा बढ़ने की प्रक्रिया में मदद करती हैं । अत: प्रकृति का अर्थ है पेड़-पौधे व जानवर, जमीन, वायु, जल, वन, झरने तथा रेगिस्तान भी ।
यद्यपि प्रकृति के निर्माण में मानव का कोई योगदान नहीं होता फिर भी वह इसे कई प्रकार से प्रभावित करता है । वह अपनी प्रत्येक आवश्यकता के लिए प्रकृति पर निर्भर रहता है और इस प्रकार वह प्रकृति को आकार देता है । मानव अपने भोजन, आश्रय व लगभग सभी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए प्रकृति की ओर ही देखता है ।
महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रकृति मानव को सीखने हेतु परिवेश प्रदान करती है । यह मानव की सभी सृजनात्मक अनुभूतियों के लिए मच प्रदान करती है । गहन विचारों को छोड़ दें तो बच्चों के लिए प्रकृति एक आनंद का स्रोत बन जाती है । यह उन्हें एक जाना-पहचाना परिवेश प्रदान करती है जिसके साथ वे सरलता से एक रूप हो जाते हैं । वे प्रकृति के अवयवों से विभिन्न प्रकार के संबंध स्थापित कर लेते हैं तथा इसी प्रक्रिया में वे प्रकृति का एक अभिन्न अंग बन जाते हैं ।
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प्रकृति, व्यापकतम अर्थ में, प्राकृतिक, भौतिक या पदार्थिक जगत या ब्रह्माण्ड हैं। "प्रकृति" का सन्दर्भ भौतिक जगत के दृग्विषय से हो सकता हैं, और सामन्यतः जीवन से भी हो सकता हैं। प्रकृति का अध्ययन, विज्ञान के अध्ययन का बड़ा हिस्सा हैं। यद्यपि मानव प्रकृति का हिस्सा हैं, मानवी क्रिया को प्रायः अन्य प्राकृतिक दृग्विषय से अलग श्रेणी के रूप में समझा जाता हैं।
यदि और सरल शब्दों में प्रकृति की व्याख्या करनी हो तो हम कहेंगे कि वे सभी वस्तुएं जो जीवित हैं व बढ़ती हैं अर्थात इस व्याख्या में हम हमारे परिवेश में पाई जाने वाली वह सभी वस्तुएं शामिल करते हैं जो जीवित रहने तथा बढ़ने की प्रक्रिया में मदद करती हैं । अत: प्रकृति का अर्थ है पेड़-पौधे व जानवर, जमीन, वायु, जल, वन, झरने तथा रेगिस्तान भी ।
यद्यपि प्रकृति के निर्माण में मानव का कोई योगदान नहीं होता फिर भी वह इसे कई प्रकार से प्रभावित करता है । वह अपनी प्रत्येक आवश्यकता के लिए प्रकृति पर निर्भर रहता है और इस प्रकार वह प्रकृति को आकार देता है । मानव अपने भोजन, आश्रय व लगभग सभी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए प्रकृति की ओर ही देखता है ।
महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रकृति मानव को सीखने हेतु परिवेश प्रदान करती है । यह मानव की सभी सृजनात्मक अनुभूतियों के लिए मच प्रदान करती है । गहन विचारों को छोड़ दें तो बच्चों के लिए प्रकृति एक आनंद का स्रोत बन जाती है । यह उन्हें एक जाना-पहचाना परिवेश प्रदान करती है जिसके साथ वे सरलता से एक रूप हो जाते हैं । वे प्रकृति के अवयवों से विभिन्न प्रकार के संबंध स्थापित कर लेते हैं तथा इसी प्रक्रिया में वे प्रकृति का एक अभिन्न अंग बन जाते हैं ।