हमारे समाज में प्रसिद्ध कहावत है कि खुद के लिए तो क्या जिए वाकई जीने का आनन्द लेना है तो औरों के लिए जीकर देखो. विद्वानों ने लिखा हैं कि आप आप ही चरे यह पशु प्रवृति है मगर वो इंसान इंसान के लिए जिए वही सच्चे अर्थों में मानव हैं. परोपकार और निस्वार्थ भाव से जीवन जीने का जो आनन्द हैं वह जीवन के किसी अन्य रूप में हैं.
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हमारे समाज में प्रसिद्ध कहावत है कि खुद के लिए तो क्या जिए वाकई जीने का आनन्द लेना है तो औरों के लिए जीकर देखो. विद्वानों ने लिखा हैं कि आप आप ही चरे यह पशु प्रवृति है मगर वो इंसान इंसान के लिए जिए वही सच्चे अर्थों में मानव हैं. परोपकार और निस्वार्थ भाव से जीवन जीने का जो आनन्द हैं वह जीवन के किसी अन्य रूप में हैं.